main news

APEDA का आदेश : रेड मीट मैन्युल से हटा ‘हलाल’ शब्द, जानिये क्या हैं झटका और हलाल मीट के मायने ?

केंद्र सरकार ने रेड मीट मैन्युअल से हलाल शब्द हटाने का फैसला किया है। एग्रीकल्चर ऐंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) ने इस बारे में दिशानिर्देश जारी कर दिया है।

आपको बता दें कि हिंदू और सिख संगठन हलाल सर्टिफिकेशन के खिलाफ ऑनलाइन अभियान चला रहे थे। दरअसल पुराने ज़माने से ही हिन्दू और सिख सिर्फ झटका मीट ही खाते रहे है और मुस्लिम हलाल मीट I ऐसे में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले APEDA ने नियम को अपडेट किया है पहले रेड मीट मैन्युल में इस्लामी देशों की जरूरतों के देखते हुए यह लिखा होता था कि जानवरों को हलाल प्रक्रिया के तहत जबह (मारा) किया गया है। लेकिन अब इसमें कहा गया है कि निर्यात किए जाने वाले देश या इंपोर्टर की जरूरत के लिहाज से फैसला लिया जा सकता है

इससे किसको फायदा होगा ?

दरअसल नियमो में हलाल लिखने से इसमें सिर्फ इस्लाम से जुड़े लोगो की प्राथमिकता बढ़ गयी थी क्योंकि उसके लिए एक्सपोर्टर को हलाल का सर्टिफिकेशन लेने की ज़रूरत पड़ती और उन्ही लोगो को रखना ज़रूरी है I एक जानकारी के अनुसार पूर्वी दिल्ली, नोएडा में सिर्फ हलाल का ही मीट बिकता है जबकि आज से २० साल पहले ऐसी स्थिति नहीं थी’ लोगो के पास यहाँ भी हलाल मीट ही खरीदने की मज़बूरी बन गयी थी ऐसे में अब बिना किसी जाती धर्म के भेदभाव के सभी को बराबर मौका मिलेगा I

हाल ही में ये भी खबर आई थी कि दिल्ली के ऐसे होटल या मीट की दुकान जो SDMC (दक्षिण दिल्ली म्युनिशपल कॉर्पोरेशन) के अंतर्गत आते हैं, उन्हें अब हलाल या झटका बोर्ड टाँग कर रखना जरूरी होगा। SDMC की सिविक बॉडी की स्टैंडिंग कमिटी ने यह प्रस्ताव गुरुवार (24 दिसंबर 2020) को पास कर दिया था। इस प्रस्ताव में यह भी लिखा है कि हिंदू और सिख के लिए हलाल मीट खाना वर्जित है।

क्या है झटका मीट
हिन्दू परम्परा के अनुसार एक झटके में ही धारदार हथियार मारकर सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है। सदियों से बलि प्रथा में भी इसी तरीके से जानवरों को काटा गया और खाया जाता है I मीट को काटने के बाद उसे साफ़ किया जाता है I हिन्दुओ में हलाल का मीट खाने की मनाही है

हलाल मीट क्या है
हलाल के लिए जानवर की गर्दन को इस्लामिक व्यक्ति द्वारा खुदा का स्मरण करते हुए एक तेज धार वाले चाकू से रेता जाता है। इसके बाद सांस वाली नली कटने के कुछ देर में ही जानवर की जान चली जाती है। मुस्लिम मान्यता के मुताबिक हलाल होने वाले जानवर के सामने दूसरा जानवर नहीं ले जाना चाहिए। एक जानवर हलाल करने के बाद ही वहां दूसरा ले जाना चाहिए।

एन सी आर खबर ब्यूरो

हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I अपना सूक्ष्म सहयोग आप हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : 9654531723@paytm के जरिये दे सकते है एनसीआर खबर.कॉम दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित और नं.1 हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें mynews.ncrkhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं या 09654531723 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं

Related Articles

Back to top button