देश कोरोना संक्रमण के दौर में जी रहा है । तमाम लोग अपनी अपनी तरह का तरह से कोरोना महामारी के खिलाफ युद्ध में सहयोग कर रहे हैं तमाम सोसायटीओं के लोग खुद पैसे जमा करके लोगों को समान बांट रहे हैं तो तमाम राजनीतिक दल अलग अलग रसोई बनाकर लोगों को खाना बांट रहे हैं
जहां अधिकांश लोग समाज सेवा के भाव से कोरोना वायरस बने हुए हैं वही अच्छे संगठनों के कुछ लोग उनके करे धरे पर पानी फेर दे रहे हैं। देखा जाए तो सभी संगठन अच्छा काम कर रहे हैं मगर इन संगठनों में कुछ लोग ऐसे हैं जो काम में कम और दिखावे में ज्यादा यकीन रखते हैं ऐसा ही एक केस ग्रेटर नोएडा वेस्ट में एक संस्था नेफोवा के पदाधिकारी का है
इस पदाधिकारी ने संस्था द्वारा जा बांटे जाने वाले राशन का फोटो संस्था के वाटर मार्क के साथ रिलीज कर दिया जिस पर सोशल मीडिया पर लोगों ने तमाम सवाल उठाये
एक यूजर ने तो इसे डोनेशन के नाम पर शो बाजी तक करार से दिया
वहीं भाजपा मंडल अध्यक्ष रवि भदौरिया ने सीता रसोई के मामले में बोलते हुए कहा कि हम किसी भी तरीके का प्रचार लोगों को दान देते हुए नहीं कर रहे हैं दान के काम को भी मां सीता के नाम पर कर दिया है
ऐसे में समाजसेवा मैं लगे संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारियों को चाहिए कि वह अपने लोगों को अति उत्साह में संगठन का नुकसान ना करने दें । किसी भी संगठन को समाज सेवा में अपनी पहचान बनाने में काफी समय लग जाता है उसको अगर ऐसी गलतियों को रोक कर बचाया जा सके तो संगठन आगे जाकर समाज के बहुत काम आ सकते हैं