दिल्ली 2 दिनों से अब शांत हैं,कहीं से कोई वारदात की खबर नहीं आ रही l अमन चैन बना रहे यह दिल्ली वासियों एवं पूरे देशवासियों के हित में है l
हिंसा के बाद जिस प्रकार से पत्थरों हथियारों तेजाब गुलेल आदि मिल रहे हैं इससे यह पता चलता है कि यह हिंसा पेशेवर तरीके से की गई l इन्हें उचित समय का इंतजार था,तैयारी पहले से हो रखी थी
सेना पर पत्थरबाजी,पुलिस पर हमला, तेजाब फेंकना, स्कूल का प्रयोग,कब्जा कर,हिंसा करना,भारी मात्रा में गोलीबारी ,पेट्रोल पंप में आग लगाना आदि सीरिया,कश्मीर पैटर्न के तरफ भी इशारा करता है l इसलिए इसमें विदेशी ताकतें पैसे एवं तकनीक की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता l
अरबों की संपत्ति जलाई गई पेट्रोल पंप स्कूल दुकाने जला दी गईl हिंसा में, सैकड़ों घायल हुए, 40 से ज्यादा लोग मारे गए यह तो हॉस्पिटल की तरफ से जारी आंकड़ा है lअभी मिसिंग लोगो के आंकड़ा आने बाकी हैं l हजारों बच्चों के बोर्ड की परीक्षा प्रभावित हुए l
इन पेशेवर दंगाइयों ने नेताओं के भड़काऊ भाषण के बाद लोगों को गुमराह किया, नागरिकता संशोधन बिल (CAA) के विरोधी एवं समर्थक भीड़ का इस्तेमाल किया lसोशल मीडिया में पहले से ही भड़काऊ पोस्ट, भाषण, वीडियो क्लिप आने शुरू हो गए थे l
यूएस राष्ट्रपति ट्रंप के आने के समय दंगाइयों को उचित समय लगाl इस समय पूरे विश्व की नजर भारत पर लगी थीl हिंसा के कारण भारत की धर्म निरपेक्ष छवि पूरे विश्व में खराब की जा सकती थी l यह संकेत जाता कि भारत में विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ नहीं रह सकते हैं l नागरिकता संशोधन बिल ने यहां पर सामाजिक एवं धार्मिक दूरी पैदा कर दी है l
लेकिन पेशेवर दंगाइयों की यह प्लानिंग तब फेल हो गई ,जब यह नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन या विरोधी के मोहल्ले दुकाने स्कूल पेट्रोल पंप आदि को यह दंगाई जलाने लगेl सेना एवं पुलिस के ऊपर हमला करने लगे l तब हिंदू मुस्लिमों ने इनके योजना को समझ लिया की दंगाइयों का मकसद नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन या विरोध नहीं बल्कि लूटपाट हिंसा और देश को अस्थिर करने का एवं देश की छवि बिगाड़ने कि हैl
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी मिलकर दंगाइयों का सामना करने लगे और इन्हें खदेड़ा भी l कई मुस्लिम परिवारों को हिंदुओं ने बचाया तो कई हिंदू परिवारों को मुसलमानों ने बचाया l हिंसा ग्रस्त इलाकों में बिना भेदभाव के लंगर शुरू हो गए हैं दवाई आदि जरूरी चीजें भेजी जा रही है lदुकानें फिर से खुलने शुरू हो गएl सेना और पुलिस प्रभावी ढंग से दिन-रात लगी रही l जिससे स्थिति नियंत्रण में आ गई हैl सामाजिक सौहार्द एवं समरसता आपसी विश्वास पूर्व की तरह कायम है l लोग दूसरे की पीड़ा को अपना समझकर उसके उपचार में लग गए हैं l दिल्ली के, हिंसा की टीस को छोड़कर अमन-चैन को कायम करने में लग गए हैं l
शैलेंद्र वर्णवाल
राजनीतिक विश्लेषक