समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने रविवार को कहा कि मुसलमानों का हित पहले है और सरकार बाद में। उन्होंने प्रदेश में आतंकवाद के आरोप में जेलों में बंद बेगुनाह मुसलमानों को जल्द रिहा करने की घोषणा की।
लखनऊ में जमीयत उलमा हिंद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों को अपना सच्चा हमदर्द बताया। उन्होंने कहा कि सरकार बनाने में मुसलमानों ने जो सहयोग दिया, जिस तरह उन पर भरोसा जताया, उसे सपा की सरकार कभी भुला नहीं सकती।
प्रतापगढ़ में क्षेत्राधिकारी जिया उल हक की हत्या, प्रदेश में पिछले वर्ष हुए दंगों और जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना बुखारी के समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद मुलायम के इस बयान को अब तक हुए राजनीतिक नुकसान की भरपाई करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
मुलायम सिंह यादव ने कहा, ‘ संसद हो, सड़क हो अथवा सरकार, सपा हमेशा अल्पसंख्यकों के हित की लड़ाई लड़ती रही है और आगे भी लड़ती रहेगी।’
मुलायम ने कहा कि मुसलमानों ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट दिया था लेकिन उन्होंने अखिलेश को मुख्यमंत्री इसलिए बनवाया ताकि वह दिल्ली में रहकर अल्पसंख्यकों की आवाज उठा सकें।
हाल ही में मौलाना अहमद बुखारी द्वारा सपा सरकार की आलोचना किए जाने पर उन्होंने बुखारी का नाम लिए बगैर कहा कि मुसलमानों को प्रदेश सरकार की नीति व नीयत दोनों को देखना चाहिए।
प्रदेश सरकार में 11 मुसलमान मंत्री
मुलायम ने कहा कि प्रदेश सरकार में 11 मंत्री मुसलमान हैं। कई विधायक भी मुसलमान हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्य सचिव भी मुसलमान हैं। ये सभी लोग मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘प्रदेश की जेलो में बंद निर्दोष मुसलमानों की रिहाई के मामले में सरकार अच्छे नतीजे निकलाने की कोशिश कर रही है। यह भी कोशिश हो रही है कि जहां अदालतों का सहारा लेने की जरूरत हो, वहां अदालतों की मदद ली जाए। इसके लिए डीजीपी व मुख्य सचिव विचार-विमर्श कर रहे हैं।’
राजा भैया की गिरफ्तारी की मांग
जमीयत के कार्यक्रम में राजा भैया की गिरफ्तारी की मांग में नारे भी लगे। कार्यक्रम में लोगों ने मुलायम के सामने क्षेत्राधिकारी जिला उल हक की हत्या के आरोपी राजा भैया की गिरफ्तारी की मांग की।
मुलायम ने कहा कि यह मामला इस मंच से उठाना ठीक नहीं हैं। यहां मजलूमों ओर बेकसूरों को इंसाफ मिलने की आवाज उठ रही है। एक मंच से दो आवाज उठाना ठीक नहीं है। सरकार पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है।
दंगा नियंत्रण कानून और आरक्षण
कार्यक्रम में जमीयत उलमा के संरक्षक असजद मदनी ने मुलायम को दंगा विरोधी कानून और मुसलमानों को 18 फीसदी आरक्षण का वादा भी याद दिलाया।
उन्होंने कहा कि संविधान में अब तक 117 संशोधन किए जा चुके हैं। इसलिए एक और संशोधन होना बहुत मुश्किल काम नहीं है।