नोएडा.कुछ संगठनों ने मंगलवार को बिसरख मंदिर (रावण के मंदिर) में जमकर उत्पात मचाया। स्थापना से दो दिन पहले एक दशक पुरानी रावण की प्रतिमा को खंडित कर दिया। साथ ही मंदिर में लगी दशकों पुरानी प्राचीन मूर्तियों को भी तोड़ दिया। मंदिर के पुजारी अशोका नंद महाराज ने बताया करीब 30 से 40 लोग बंदूक और लाठी-डंडे लेकर मंदिर पहुंचे, जिन्होंने यहां तोड़फोड़ की। आरोप लगाया कि मंदिर व मूर्ति तोड़ने वालों में बीजेपी कार्यकर्ता, लोक रक्षा दल और गौरक्षा दल के कार्यकर्ता शामिल थे और पूरा काम केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के कहने पर किया गया है। फिलहाल, गांव व मंदिर में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है। राम के साथ लगनी थी रावण की मूर्ति…
– अशोका नंद महाराज ने बताया कि मंदिर में राम के साथ रावण की मूर्ति की स्थापना 11 अगस्त को की जानी थी।
– इसके अलावा भगवान गणेश और रावण के पिता ऋषि विश्रवा की मूर्ति कर स्थापना होनी थी।
– इसके पहले ही कुछ संगठनों व महंतों ने मिलकर रावण के मंदिर में हमलाकर मंदिर को नुकसान पहुंचाया और मूर्ति को खंडित किया।
बिसरख में था अस्था का प्रतीक
– बिसरख में रावण का मंदिर आस्था का प्रतीक माना जाता था। इसी कारण इसे बिसरख धाम की संज्ञा दी गई थी।
– अशोका नंद ने बताया कि करीब पांच साल से मंदिर में रावण की मूर्ति की स्थापना की तैयारी की जा रही थी।
– इसके लिए मंदिर का पुर्ननिर्माण करीब दो करोड़ रुपए में कराया गया था। यहां लगी दशकों पुरानी मूर्तियों को भी लोगों ने तोड़ दिया।
जूना अखाड़ा व महंतो ने किया था विरोध
– गाजियाबाद के ऐतिहासिक दूधेश्वरनाथ मठ में जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय मंत्री महन्त नारायण गिरी महाराज, कालिका मंदिर दिल्ली के महंत सुरेन्द्रनाथ अवधूत और प्राचीन देवी मंदिर डासना के महंत यति बाबा नरसिहानन्द सरस्वती जी महाराज ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट कहा था कि मंदिर में राम के साथ रावण की स्थापना नहीं होने दी जाएगी।
– महन्त नारायणगिरी ने कहा था कि हिन्दू महासभा के तथाकथित अध्यक्ष चक्रपाणि हिन्दुओं की सर्वोच्च आस्थाओं पर प्रहार करने लिए बिसरख गांव में 11 अगस्त को रावण की प्रतिमा स्थापित करवा रहा है।
केंद्रीय मंत्री पर लगाया आरोप
– मंदिर के अशोक नंद महाराज ने बताया कि इस पूरे तोड़फोड़ में महंतों के अलावा बीजेपी के कार्यककर्ता भी शामिल थे।
– उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरा काम केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के कहने पर किया गया है।
– इससे बिसरख के लोगों की अस्था को चोट पहुंची है। बिसरख थाने में इन सबके के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
रावण के पिता की है तपोस्थली
– बिसरख ऋषि विश्रवा की तपोस्थली है। यहीं रावण का जन्म भी हुआ था।
– उन्होंने बताया वेद पुराणों के अनुसार ऋषि विश्रवा उनकी तपोस्थली को शिव नगरी भी कहा जाता है।
– बिसरख धाम में रावण द्बारा स्थापित अष्टभुजी शिवलिग विराजित है, जो की विश्व में ऐसा शिवलिग और दूसरा कही भी नहीं है।
– अशोकानंद महाराज ने बताया लंकापति रावण बाल्यकाल से ही शिव भक्त थे। उन्होंने शिव की घोर उपासना की और शिव मंत्रावली भी स्वयं रचना की।
आज भी रावण के खौफ में जीता है ये गांव
– गाथाओं के मुताबिक बिसरख गांव रावण का पैतृक गांव है। यहां रावण मंदिर के साथ प्राचीन शिव मंदिर भी है।
– वहां के महंत रामदास बताते हैं कि रावण के पिता विश्रव ब्राह्मण थे। उन्होंने राक्षसी राजकुमारी कैकसी की।
– जब पूरा देश अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में रावण के पुतले का दहन करता है, तब इस गांव में खुशी का माहौल नहीं होता है।
– बिसरख गांव के लोग न रामलीला आयोजित करते हैं और न कभी रावण का दहन करते हैं। बल्कि, दशहरा पर यहां शोक मनाया जाता है।
10 साल से नहीं हो सकी स्थापित
– यहांं एक प्रचीन शिव मंदिर वही उसके सामने नया मंदिर है। नए मंदिर के परिसर में रावण की मूर्ति भी रखी है।
– दो मंदिरों के पुजारियों की आपसी गुटबाजी के चलते पिछले 10 सालों से रावण की मूर्ति स्थापित नहीं हो पा रही।
– गांव वाले इस मूर्ति की पूजा भी करते हैं। यहां के निवासी शिव मंदिर को ही रावण का मंदिर कह कर पूजा करते हैं।
– यहां की दीवारों पर रावण के पिता की आकृति भी बनी हुई है।
साभार : भास्कर