निजाम आपका है, ताकत आपकी है, जाँच करने वाले आपके मातहद और रिपोर्ट आपके पसंद वाली – अवनीश शर्मा
कैराना से विस्थापन की सामने आई परिवारों की लिस्ट पर उत्तर प्रदेश सरकार के शामली जिला प्रशासन की रिपोर्ट भी आ गयी है जो मानती है कि 346 की जगह कुल 252 परिवारों का कैराना से पलायन हुआ है। इनमे से 72 परिवारों ने पिछले 3 सालों में अलग-अलग वजहों से कैराना छोड़ा।
“केवल तीन परिवारों ने दहशत की वजह से कैराना छोड़ा”।
निजाम आपका है, ताकत आपकी है, जाँच करने वाले आपके मातहद और रिपोर्ट आपके पसंद वाली : तमाम बातों के साथ 346 परिवारों की बजाय 252 पर आते हुए, 72 के तीन साला विस्थापन सत्य के बीच यह मानती है की “तीन” परिवार दहशत के चलते कैराना छोड़ गए।
साहेब ! दादरी के एक घर, उसकी रसोई, फ्रिज और उसकी भूख ने…. उस रात की दुखद आपराधिक घटना के बाद समूचे देश की बहुसंख्यक आबादी को आतंकी, बर्बर प्रचारित करवाया और देश-विदेश तक बहुसंख्यक समाज “असहिष्णु” हो गया : आपकी अपनी रिपोर्ट में दहशत के चलते कैराना से पलायन को मजबूर वे तीन परिवार क्या एक अखलाक की गिनती से कम हैं ?
चलिए.. नहीं करते बात 346 की, लेकिन क्या यह धर्मं आधारित आतंक नही है… जो तीन परिवार (औसतन एक परिवार में पांच लोगों के हिसाब से कुल 15 लोग) कैराना इस वजह से छोड़ गए और आपकी अपनी रिपोर्ट इसे मानती है !
कहिये ! दादरी और अखलाक के मुकाबिल क्या आप मानते हैं की असहिष्णुता तीन सौ फीसदी बढ़ी है उत्तर प्रदेश के सूबाई निजाम में ?
दादरी अगर कट्टरता, आतंक और बर्बरता थी कानून और व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति की जगह… तो कैराना में कट्टरता, आतंक और बर्बरता क्यों नहीं ? और अगर कैराना में सब कुछ कानून और व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति है तो दादरी में यह आधार कहाँ फरार था ? आधारों का यह सुविधाजनक चुनाव क्यों ?
पीड़ित की संख्या एक हो या एक हजार, उसका धर्म हिन्दू हो या मुसलमान : असहिष्णुता… पाखंडी शुद्धतावादियों, अवॉर्ड वापसी गिरोहों, काली टीवी स्क्रीनों के काले पेशेवरों को दिखनी ही चाहिए। न दिखे.. तो क्या समझा जाय कि यह अंधापन.. सावन में आया है इनके हिस्से ?
अवनीश शर्मा की फेसबुक वाल से