शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के दीवान को भारत रत्न दिया जाना चाहिए.
उद्धव ठाकरे ने चिश्ती दरगाह के दीवान जैनुल अबेदीन अली खान की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री परवेज अशरफ के इस पवित्र स्थल का दौरा करने का विरोध करने पर उनकी तारीफ की है.
उद्धव ने पार्टी के मुख पत्र ‘सामना’ में एक लेख में सोमवार को लिखा है कि देशभक्ति की भावना और देश प्रेम से उन्होंने यह दिखा दिया है कि वह देश के सच्चे रत्न हैं. उन्हें भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाना चाहिए.
एक तरफ विरोध,दूसरी तरफ शाही दावत
खान के साहस पूर्ण, बेजोड़ और मानवीय कदम की प्रशंसा करते हुए उद्धव ने कहा कि दीवान ने यह महसूस किया होगा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के लिए धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करना, उन भारतीय जवानों की स्मृतियों का अपमान करने के समान होगा, जिनकी पाकिस्तानी सेना ने हाल में नृशंस हत्या कर दी थी.
उद्धव ने कहा कि इसके विपरीत, भारत के विदेश मंत्री ने अशरफ की भव्य आगवानी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और उनके लिए शाही दावत का आयोजन भी किया.
उन्होंने कहा कि अशरफ के चले जाने के बाद लोगों ने उन रास्तों की सफाई की, जहां अजमेर में वह घूमे थे. मुसलमान तह-ए-दिल से इस सफाई अभियान में शामिल हुए. दीवान का यह कदम कट्टर मुसलमानों सहित सरकार का आंख खोलने वाला तथा नए चलन की शुरुआत करने वाला है.
उद्धव ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि जिस तरह पाकिस्तान उनकी तारीफ करने वाले भारतीयों को अपने सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से नवाजता है, उसी तरह भारत भी इसका जवाब दे सकता है.
उद्धव ने कहा कि तब, दीवान को इस चलन का विरोध करने और पाकिस्तानी नेता के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाने के लिए क्यों न भारत रत्न दिया जाए? यह देश के आम मुसलमानों के लिए प्रेरणा और उनमें साहस भरने का काम कर सकता है.
गौरतलब है कि दीवान ने अजमेर के सूफी दरगाह में अशरफ के निजी दौरे का बहिष्कार किया था और दरगाह के मौलवियों ने उनका दान स्वीकारने से इंकार कर दिया था. अशरफ, उनकी पत्नी नुसरत और उनके साथ 20 अन्य लोगों ने हालांकि, यहां जियारत की थी.