आरक्षण के विरोध या समर्थन में डाली गयी कोई भी पोस्ट सिर्फ और सिर्फ युवाओं को भ्रमित करती है-संजीव सिन्हा
आरक्षण के विरोध में या आरक्षण के समर्थन में डाली गयी कोई भी पोस्ट सिर्फ और सिर्फ युवाओं को भ्रमित करती है। यह उसी तरह की प्रक्रिया है, जैसे कोई साधक अपनी साधना में लीन हो और उसे साधना से हटाने के लिए इन्द्र द्वारा कोई अप्सरा बाधा डालने के लिए भेज दी गयी हो। जिस प्रकार किसी की तपस्या से इन्द्र का आसन डोलने लगता था उसी प्रकार युवाओं को स्वरोजगार की ओर बढने संबंधी पोस्टों से आरक्षण संबंधी या विरोधी नेताओं का आसन डोलने लगता है। और वे इसके समाधान के लिए नये समूह के लिए आरक्षण की मांग या आरक्षण समाप्त करने जैसे शिगूफे छोडते हैं।
ये कोई आजादी की लड़ाई नहीं है, जिसमें हर कोई सब कुछ छोड कर कूछ पडेगा। अभी गुजरात में हार्दिक पटेल के लालच की लड़ाई में जिन 7 परिवारों के बच्चे मारे गये, उन परिवारों के दर्द का अंदाजा है किसी को। वे परिवार नेताओं के तो बिल्कुल नहीं थे। जाकर देखा जाये उन परिवारों में तो पता चलेगा कि उन पर क्या बीत रही है, जिनके परिवार के चिराग इस आग में भस्म हो गये। आरक्षण की समस्या के समाधान का ये तरीका नहीं है कि उसके विरूद्ध हिंसात्मक रवैया अपनाया जाये। इसके समाधान का तरीका ये है कि सरकारी नौकरियों का बहिष्कार कर दिया जाये। है हिम्मत युवा वर्ग में बहिष्कार करने की तो आगे बढे। जब सरकारी नौकरियों का बहिष्कार होगा और सरकार को योग्य लोगों की आवश्यकता होगी तो मजबूर होकर वह समस्त आरक्षण समाप्त कर देगी।
संजीव सिन्हा