वैसे अब १००% आरक्षण के दिन आ गये है सबकी संख्या के अनुसार आरक्षण डे देना चाह्यी सबको I देखा जाए तो ये एक आरक्षण आज एक नये तरीके के सामन्तवाद का परियाय बन चूका है I
सबको अपनी सफलता और असफलता इसी से तय करनी है , हर कोई यही सोच रहा है जब माल लुट रहा है तो मेरा हिस्सा कहाँ
ताकत और सड़क पर आग लगाने की जिसकी जितनी हिस्सेदारी होगी राज वही करेगा
परिवर्तन का दौर है , अम्बेडकर जल्द ही अप्रसांगिक होते नजर आयेगे , दबाब की राजनीती का जो खेल उन्होंने ७० साल पहले खेला था उस पर आर या पार के दिन है
ऐसे मे बस यही कहा जा सकता है
आएये आरक्षण हतियाने का मौसम है .. ताकत के बल पर उठी ख्वाइशो का मौसम है
आशु भटनागर