किसानों के लिए मिले 490 करोड़ दबा गई यूपी सरकार

पिछले साल सूखा पड़ा। किसान बर्बाद हुए। मदद की बातें हुईं। पर अब तक एक पाई मदद नसीब नहीं हुई। केंद्र ने जो 490 करोड़ रुपये दिए, वह भी तीन महीने में बांटे नहीं जा सके।

किसान सूखे से मिले जख्मों से उबरते, इससे पहले ही ओले और आंधी-पानी ने फिर फसलों पर कहर बरपा दिया। नई मुसीबत में सरकार किसानों का पुराना दर्द भूल गई। सूबे में यह तस्वीर तब है जब केंद्र व राज्य सरकार में किसानों का खैरख्वाह बनने की होड़ मची है।

पिछले साल सूखे को लेकर हायतौबा मचने पर सरकार ने दो चरण में 58 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया था। पहले 44 जिलों में तत्कालीन 50 फीसदी नुकसान के मानक के हिसाब से 4700 करोड़ रुपये से ज्यादा की मांग की।

बाद में सियासत बढ़ी तो 10 जिलों को राहत सूची में शामिल करने के लिए प्रदेश ने बरसात के मानक को अपने स्तर से ही बदलकर 50 की जगह 60 फीसदी कर दिया।इसके बाद केंद्र से 58 जिलों में राहत के लिए 4800 करोड़ से ज्यादा का पैकेज मांगा। जानकार बताते हैं कि केंद्र ने जब अपनी टीम भेजकर मांग की स्थलीय जांच कराई तो पता चला कि केंद्र से मांगे गए मोटे पैकेज में किसानों को राहत दिलाने पर फोकस कम, विभागों के प्रस्तावित कार्यों पर ज्यादा था। एनडीआरएफ गाइडलाइन तात्कालिक राहत की मांग पर ही मदद की अनुमति देती है।

केंद्र ने मानक के दायरे वाले 44 जिलों में सूखे से फसलों के नुकसान की एवज में मांगे गए 777.34 करोड़ रुपये मंजूर किए। इसमें 44 जिलों में सूखे से फसलों को हुए नुकसान पर मुआवजे के लिए 724.13 करोड़ रुपये, नगरीय क्षेत्रों में पानी के लिए 47.25 करोड़ व मत्स्य पालकों के लिए 5.96 करोड़ रुपये शामिल है।

सूखा राहत के रूप में मंजूर इस 777.34 करोड़ रुपये में से 490.28 करोड़ रुपये केंद्र ने इस साल फरवरी में जारी किया।

बाकी 287.06 करोड़ रकम तब यह कहकर देने से इन्कार कर दिया था कि इससे ज्यादा पैसा उस समय राज्य आपदा राहत निधि (एसडीआरएफ) में बिना खर्च हुए पड़ा था। कहा कि यह रकम उससे समायोजित कर ली जाए। यह पैसा अभी अब तक नहीं बंटा है।सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने सूखा राहत बांटने के लिए जो तैयारी की है उसमें वह केंद्र से स्वीकृत 777.34 करोड़ की जगह केंद्र से सीधे मिले 490 करोड़ रुपये ही हैं।

जिस 287.06 करोड़ को केंद्र ने उस समय एसडीआरएफ में उपलब्ध होने की वजह से समायोजन का निर्देश देकर देने से इन्कार किया था, सरकार फिलहाल उस रकम को खर्च करने का फैसला नहीं कर पाई है।

मामले पर प्रमुख सचिव राजस्व सुरेश चंद्रा कहते हैं कि केंद्र सरकार ने फरवरी में जब पैसा दिया तब तक राज्य सरकार का बजट फाइनल हो गया था। इस वजह से प्रदेश के बजट में इसके लिए प्रावधान नहीं किया जा सका। बिना बजट प्रावधान के पैसा खर्च नहीं किया जा सकता है।

सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों को भी जल्द से जल्द राहत पहुंचाने के लिए राज्य आकस्मिकता निधि से पैसे की व्यवस्था कर दी है। दो-तीन दिन में पैसा जारी कर दिया जाएगा।