विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए मशहूर वीरेंद्र सहवाग के टेस्ट टीम से हटने के साथ ही उनके करियर के अंत होने की चर्चा जोरों पर है। क्रिकेट इतिहास पर नजर डालें तों पता चलता है कि विस्फोटक शैली के कई बल्लेबाजों को संन्यास से पहले संघर्ष के लंबे दौर से गुजरना पड़ा है। खासकर जब उनकी उम्र 35 साल के आस-पास हो।
दिलचस्प बात यह है कि सहवाग भी इस साल अक्टूबर में 35 साल के हो जाएंगे। साथ ही वे पिछले दो साल से काफी निराश कर रहे हैं। पिछले दो साल में इंग्लैंड के खिलाफ एक शतक को छोड़कर उनके नाम कोई बड़ी पारी नहीं है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा सीरीज की तीन पारियों में वे कुल 27 रन बना पाए।
विवियन रिचर्डस
वेस्ट इंडीज के विवियन रिचर्डस ने आक्रामक बल्लेबाजी के दम पर दुनिया में सालों तक राज किया। उन्होंने टेस्ट करियर में 24 शतक सहित 50 से ज्यादा की औसत से 8,540 रन बनाए। लेकिन अपने टेस्ट करियर के आखिरी दो साल में उन्हें बेहद खराब दौर से गुजरना पड़ा।
इन दो साल में उन्होंने 13 मैचों में महज 36 की औसत से रन बनाए। साथ ही इस दौरान उन्होंने कोई शतक भी नहीं लगाया। आखिरी दौर के 30 वनडे पारियों में रिचर्डस केवल एक अर्द्घशतक जमा पाए थे। क्रीज पर पहुंचते ही गेंदबाजों के मन में दहशत पैदा करने वाले रिचर्डस को 1992 वर्ल्ड कप टीम में भी जगह नहीं मिली थी।
मैथ्यू हेडेन
ऑस्ट्रेलियाई टीम को बुलंदियों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले ओपनर मैथ्यू हेडेन का भी आखिरी समय भी बेहद निराशाजनक रहा। हेडेन ने वैसे तो 103 टेस्ट मैचों में 50.73 की औसत से 8,625 रन बनाए। लेकिन करियर के आखिरी के दो साल में हेडेन ने केवल 36.91 की औसत से रन बनाए।
जावेद मियांदाद
आक्रामक बल्लेबाजी के दम पर एशियाई क्रिकेट को एक खास मुकाम तक पहुंचाने वाले पाकिस्तान के जावेद मियांदाद भी उम्र के ढलान के साथ लाचार हो गए थे।
दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 124 टेस्ट मैचों में 52.57 की औसत से 8,832 रन बनाए। लेकिन करियर के आखिरी दो साल में उन्हें भी संघर्ष का सामना करना पड़ा। संन्यास से पहले के दो साल में मियांदाद का औसत केवल 38.35 रहा।
एलन बोर्डर
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के सर्वकालिक क्रिकेटरों में से एक एलन बॉर्डर भी आखिरी दौर में अपने फॉर्म से जूझे थे। बॉर्डर ने 156 टेस्ट मैचों में 50.56 की औसत से 11,174 रन बनाए हैं।
विदाई से पहले के आखिरी दो साल में उनके बल्ले ने भी जवाब दे दिया था। इन दो सालों में उनका रन बनाने का औसत 42.10 रहा था।
रिकी पोंटिंग
आधुनिक क्रिकेट के रत्नों में से एक ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग को भी आखिरी दो साल में बुरे दौर से गुजरना पड़ा था। अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलियाई टीम को आक्रामक खेल का पाठ पढ़ाने वाले पोंटिंग अपने आखिरी 19 मैचों में कीज पर लाचार दिखते थे।
वैसे तो पोटिंग ने 168 टेस्ट मैचों में 51 से ज्यादा की औसत से 13378 रन ठोके थे। लेकिन आखिरी 10 पारियों में उनके बल्ले से केवल 20 की औसत से रन बने थे।
कपिल, गांगुली, द्रविड़ ने भी किया था निराश
भारतीय क्रिकेट के स्तंभ कपिल देव, अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और सौरभ गांगुली भी 35 साल की उम्र के दौर में बेहद खराब दौर से गुजरे थे।
अपने 18 साल के करियर में द्रविड़ ने टेस्ट में 13 हजार से ज्यादा और वनडे में 10 हजार से ज्यादा रन बनाए है तो वहीं वीवीएस लक्ष्मण के नाम टेस्ट क्रिकेट में 8 हजार से ज्यादा रन हैं। लेकिन दोनों क्रिकेटरों की विदाई उस तरह नहीं रही जिस तरह उनका भारतीय ड्रेसिंग रूम में ओहदा था।
भारतीय क्रिकेट में जीत की ललक पैदा करने वाले कप्तान सौरभ गांगुली और अनिल कुंबले ने भी अचानक से संन्यास की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। वहीं सुनील गावस्कर और ब्रायन लारा दो ऐसे दिग्गज हैं जो अपने संन्यास के समय जबरदस्त फॉर्म में थे। उन्होंने 35 साल की उम्र पार करने के बाद भी बेहतरीन औसत से रन बनाए।