‘बैन नहीं हटा तो गांव-गांव दिखाएंगे डॉक्यूमेंट्री’

बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडियाज डॉटर’ आंवलखेड़ा के गांव रूपधनू में प्रोजेक्टर के माध्यम से ग्रामीणों को दिखाने से मची खलबली के बाद छांव फाउंडेशन और शीरोज हैंग आउट कैफे के पीआर मैनेजर केतन दीक्षित ने डॉक्यूमेंट्री पर भारत सरकार के बैन को गलत ठहराया है।
मामले में सोमवार को पुलिस ने उनसे पूछताछ की। इसके बाद उन्होंने ऐलान किया कि सरकार तत्काल इससे बैन हटा ले, वरना वे गांव-गांव जाकर लोगों को डाक्यूमेंट्री दिखाते रहेंगे।
दीक्षित ने कहा कि जब यू ट्यूब पर दो लाख से अधिक लोग देख सकते हैं तो फिर बैन का क्या मतलब है। अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म को गांव में जाकर लोगों को समझाना मुश्किल है। इसलिए वे इसका हिंदी अनुवाद कर समझा रहे हैं।
उन्होंने डॉक्यूमेंट्री दिखाने के लिए शहर से 40 किमी. दूर रूपधनू गांव चुना था। गांव की महिलाओं ने डॉक्यूमेंट्री को देखा और सराहा है। इस मामले में उन पर पुलिस कार्यवाही अनुचित है।उल्लेखनीय है कि रविवार शाम सात बजे छांव फाउंडेशन और शीरोज हैंग आउट संस्था के पीआर मैनेजर (वालंटियर) केतन दीक्षित और राहुल कुमार ने रूपधनू गांव में प्रोजेक्टर के माध्यम से लोगों को डॉक्यूमेंट्री दिखाई थी।
जानकारी पर पुलिस ने गांव पहुंचकर जांच की। सोमवार को पुलिस एक युवक को थाने लाई। उसकी निशानदेही पर शाहगंज निवासी राहुल को उठा लिया। इसके बाद केतन को गांव चौकड़ा के प्रधान कौशलेंद्र सिंह चौहान की मदद से थाना बरहन लाया गया।
लैपटॉप, प्रोजेक्टर, अन्य उपकरण और संस्था से जुड़े दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं। सीओ एत्मादपुर ने बरहन थाने में उनसे चार घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद दोनों को ग्राम प्रधान की सुपुर्दगी में दे दिया गया। सीओ ने बताया कि जीडी में तस्करा डालकर दोनों को छोड़ा गया है।
उधर, एसपी देहात बबीता साहू का कहना है कि संस्था के युवकों से पूछताछ की गई है। डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने की पुष्टि की जा रही है। मामला सही मिलने पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।