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भूअधिग्रहण कानून , अन्ना और उसके सच

एक दोस्त से बात हुई बोले भूमि अधिग्रहण कानून , अन्ना के आन्दोलन और किसानो की दुर्दशा पर आपको गलत नहीं लगता , मोदी जो कर रहा आपको सही लगता है , आपके दिल मैं मोदी के लिए साफ्ट कार्नर है …..

मैं मैं सोचा बात तो इनकी ठीक है है की अन्याय हो रहा है और अन्ना तो बेचारे अन्याय के विरोध मैं खड़े होने वाले शक्श हैं , अरविन्द उनके चेले हैं तो गलत कैसे हो सकते है
इतने बड़े पत्रकार और साहित्यकार इसके खिलाफ है तो मैं क्यूँ नहीं हूँ , मैं क्यूँ इस आन्दोलन अपने आप को कनेक्ट नहीं कर पा रहा हूँ ३ साल पहले मैं भी अन्ना के पीछे खड़ा था , क्या तब मैं संघ का आदमी था या बीजेपी की कार्यकर्ता था या फिर कांग्रेस से दुखी था ?

कारण जान्ने की कोशिश मैं मैंने खुद दिल्ली के १०० किलोमीटर की रेडियस मैं रहने वाले किसानो पर ध्यान लगाया I यहाँ आस पास नॉएडा , फरीदबाद , बुलन्दशहर , अलीगढ़ , मेरठ , जयपुर , सोनीपत, गुढ़गांव , मानेसर ध्यान आये I

मैं चूँकि नॉएडा मैं हूँ तो यहाँ से ज्यदा वाकिफ हूँ सब जानते है १९७६ मैं नॉएडा को स्व संजय गांधी ने औधोगिक शहर बनाना शुरू किया I नॉएडा मैं ३५ सालो से एमरजेंसी क्लाज़ लगा कर ली ज़मीनों के बाद यहाँ के किसान क्या करते है , जरा ये जान्ने की कोशिश कीजीये I

नॉएडा मैं आज यहाँ रहने वाले बड़े से बड़े कम्पनी मैं काम करने वाले किसी भी आदमी की इन किसानो के आगे कोई औकात नहीं , जी हाँ आप यहाँ २-५ लाख रूपए महीने भी कम कर इनकी बराबरी नहीं कर सकते I और सिर्फ पैसे मैं ही नहीं बल्कि पैसे के आने के बाद बढ़े हुए रुतबे और बदतमीजी मैं भी आप कुछ नहीं कर सकते I

यूपी की नम्बर 1 सिटी नॉएडा मैं आप के लिए कानून है मगर यहाँ पर होने वाली सारी गतिविधिओ पर इन्ही किसानो के परिवारों का हक़ है , आप इसे ज़मीन पर देख सकते है , यहाँ का लोकल परिवहन से लेकर बाज़ार सब इनके है हाँ उनमे काम करने वाले मजदुर चाहे कहीं के भी हों

अब आते है भूमि अधिग्रहण कानून के नाम पर शोषण और उसके विरोध पर , हम सभी अच्छी जिन्दगी जीना चाहते है और उसी के लिए अपनी अपनी शिक्षा के अनुसार यहाँ पर नौकरी करते है और उसी मैं से यहाँ NCR मैं अपना मकान लेने की सोचते है I

तो इसी के लिए सरकारों मैं यहाँ ज़मीने ली और उन आवासीय फ़्लैट बनाने की परमीशन दी I जिसे हम नॉएडा एक्सटेंशन या ग्रेटर नॉएडा वेस्ट के नाम से जानते है I हम सभी ने २०१० यहाँ सरकार की दी ज़मीन पर बने इन फ्लैटों मैं इन्वेस्ट किया , इस उम्मीद मैं की हमारा भी दिल्ली एनसीआर मैं अपना घर होगा , मगर पिछले ५ सालो से तमाम मुआवजों के बातें जाने के बाद भी हम यहाँ अपना घर नहीं पा सके,I और जल्दी मिलने की उम्मीद भी नहीं I

किसानो के हितो चिंता करते करते हम कहाँ रह गये हमे खुद नहीं पता , अन्ना ने कभी हमारे लिए आन्दोलन नहीं किया , कभी ये नहीं बोला की in २ से ५ लाख लोगो के जो फ्लैट्स नहीं मिल रहे है जो गरीब जनता ५ साल से अपनी सारी कमाई इनमे लगा दे रही है वो क्या करे ? क्योंकी किसान तो देश के लिए ज़रूरी मगर आम आदमी नहीं I
अब इसके दुसरे मुद्दे पर आते क्या दिल्ली नॉएडा मैं जो ज़मीन नहीं अधिग्रहित की गयी उस पर किसानो ने खेती करी ? जी नहीं उन ज़मीनों पर फ़ार्म हाउस बनाकर बेचदिए गये या फिर अवैध कालोनिया बना दी गयी और दुबारा उनके शोषण का शिकार भी आम आदमे बना क्योंको उनकी उनमे बेचने वालो ने कोई सुविधा नहीं दी बस ज़मीन पर बिना किसी गुद्वात्ता के मकान बना कर बेचकर चले गये , इन्ही अवैध कालोनियों को नियमित करने की मांग अब लोग करते है

ये सच है देश मैं खेती की ज़मीन ज़रूरी है मगर सिर्फ किसी भी अति के लिए आप विकास को नहीं रोक सकते , ये सब वैसा ही ही है जैसे १९९० मैं वामपंथी खुली अर्ह्वय्व्स्था के खिलाफ नारे लगा कर जनता से कहते थे की सब बर्बाद हो जाएगा

मेरा हमेशा मानना रहा है की किसानो की समस्या भू अधिग्रहण नहीं बल्कि खेती की सही समझ और उसको बाज़ार के अनुरूप ना कर पाना रहा है , हम अचानक फायदा देने वाली हर फसल को लेकर खुश हो जाते है बिना उसके दीर्घ कालिक असर देखते हुए , ऐसा हम मेंथा , गन्ना , या यूके लिप्तिस के मामले मैं देख चुके है
वस्तुत जब कोई ज़मीन औधोगिक विकास के लिए या हाइवेज के लिए ली जायेगी तो निशित तोर पर किसानो की ही ज़मीन होगी और जब ऐया होगा तो उसके फलस्वरूप नये रास्ते भी खुलंगे

मगर जानकारी का आभाव और उधाम्शीलता की कमी हमें रिस्क लेने से रोक देती है और फिर हम चल पड़ते है किसी मेघा पाटेकर या किसी अन्ना जहारे के पीछे की हम जहाँ है जैसे है हमे उसी हाल मैं रहने दो बस हमें खेती के लिए पैसे देते रहो

पर समस्या हमारी दुसरी है , हम अपने आपको सम्पूर्ण विश्व के अनुरूप नहीं बनाना चाहते , हमने बार बार सिद्ध किया की हम जब दुनिया के सामने खड़े होते है तो हम उनसे कई गुना बेह्टर है और हमारे ही टाटा, गोदरेज, bajaj और हल्दीराम जैसे घरेलु उधोगो ने भी जब सारी दुनिया मैं अपना पैर रखा तो हम उनसे बेह्टर ही साबित हुए

जी हाँ आज हल्दीराम जिसे हम हलवाई की दूकान का सुधार रूप कह सकते है वो डोमिनोज और पिज़्ज़ा हट जैसे विदेशी ब्रांडो की मिलाकर होने वाली कमाई से ज्यदा है माएक्रोमाक्स जैसे दिल्ली बेस्ड कम्पनी सैमसंग जैसे विदेशी ब्रांड को पीछे कर देती है और अपने बाबा रामदेव का पतंजली संस्थान बड़े बड़े विदेशी ब्रांडो को पीछे छोड़ देता है
इसलिए समस्या भूअधिग्रहण का कानून नहीं हमारी जहाँ हैं जैसे है बेहतर है की आदत है हमें अपने किसानो को उसके लिए तैयार करना होगा हां कुछ परेशानी होंगी मगर बिना परेशानी के स्वर्ग कहाँ मिलता है

 

आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते दशक भर से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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