आरी से नहीं हुए थे गौरी के शरीर के छह टुकड़े!

लकड़ी काटने वाली आरी से हिमांशु ने गौरी को काटा। यह खुलासा जितना लोगों को चौंका रहा है उससे ज्यादा एक्सपर्ट हैरान हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक्सपर्ट और पोस्टमार्टम ट्रेनर पुलिस की आरी की थ्योरी को सिरे से खारिज कर देते हैं।
वह कहते हैं कि अकेले व्यक्ति किसी के भी पूरे अंग आरी से नहीं काट सकता। अगर काटेगा तो उसे दिन भर तक का समय लग सकता है।केजीएमयू के ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉ. अजय सिंह बताते हैं कि सर्जरी में किसी अंग को काटने के लिए मोटराइज्ड ब्लेड या फिर हाथ से काटने वाले विशेष सर्जिकल उपकरण की मदद ली जाती है।
इसका चुनाव हड्डियों की मोटाई पर निर्भर करता है। अंगों को काटना काफी कठिन और मेहनत वाला काम है। सर्जिकल उपकरण से किसी भी अंग को काटने में पांच मिनट लग जाता है। अगर आरी से काटा जाए तो कम से कम 6 से 8 घंटे का समय लग सकता है।
पोस्टमार्टम एक्सपर्ट भी बताते हैं कि किसी भी अंग को काटने के लिए उसकी त्वचा, मांशपेशियों और फैट को काटना पड़ता है। इसके बाद हड्डी का नंबर आता है। अगर कोई प्रशिक्षित न हो और उसके पास सामान्य हथियार यानी आरी जैसा हथियार हो तो अंगों को काटने में दिनभर भी लग सकते हैं।
कानून की छात्रा के शव के टुकड़े आरी से किए गए थे या नहीं अब आरी ही बता सकती है। कुछ सेकंड का टेस्ट बता सकता है कि आरी पर खून के दाग हैं भी या नहीं। यही जांच बता सकती है कि क्या कत्ल में वही आरी इस्तेमाल की गई थी।
फोरेंसिक एक्सपर्ट के अनुसार घटनास्थल पर मिले आला कत्ल की पुष्टि के लिए उसका बेंजीडीन टेस्ट किया जाता है। ये एक प्राइमरी ब्लड डिटेक्शन टेस्ट यानी इससे किसी चीज पर खून का पता लगाया जा सकता है। इसमें ऑन स्पॉट ही दो रसायनों को मिलाकर हथियार पर लगाया जाता है।
हथियार को धोने के बावजूद इस टेस्ट से उस खून के धब्बों का पता चल जाता है।एक्सपर्ट के मुताबिक ब्लड डिटेक्ट हो जाता है तो आगे की जांच लैब में की जाती है। लैब की जांच में ये पता लगाया जाता है हथियार पर लगा खून किसी मानव का है या फिर जानवर का। इसके बाद खून के ग्रुप का पता लगाया जाता है। ग्रुप और डीएनए जांच से कत्ल हुए व्यक्ति की पहचान की जाती है।