अब पूर्वोत्तर के लोगों के लिए ‘चिंकी’, ‘चाइनीज’ या अन्य अभद्र शब्दों का इस्तेमाल भारी पड़ सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय एक ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जिसके तहत ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने पर पांच वर्ष तक की सजा हो सकती है। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर के लोगों की सुरक्षा और उनसे संबंधित समस्याओं के निबटारे के लिए बेजबरुआ समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है।
समिति ने ही पूर्वोत्तर के लोगों की नस्ल, संस्कृति और उनकी शारीरिक बनावट को लेकर टिप्पणी को अपराध की श्रेणी में रखने का सुझाव दिया है। गृहमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों की सुरक्षा के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2014 में संशोधन किया जाएगा।
इसके अलावा महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने और दंगा भड़काने से संबंधित आईपीसी की दो धाराओं 153 और 509 में भी संशोधन की तैयारी ल रही है। गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में अरुणाचल प्रदेश के 19 साल के छात्र नीडो तानिया की हत्या के बाद सरकार ने बेजबरुआ समिति बनाई थी।
गृहमंत्री ने जानकारी दी है कि पुलिस तंत्र में पूर्वोत्तर के लोगों को तुरंत मदद के लिए कई नए प्रावधान किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं इन लोगों को कानूनी सलाह और मदद के लिए भी नए विभाग की स्थापना अपने अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस में पूर्वोत्तर के सात राज्यों से 20 पुलिस अधिकारियों की भर्ती को मंजूरी दे दी गई है