दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी अब किताब लिखेंगी। मुख्यमंत्री रहते हुए 15 साल में उन्हें जो अनुभव हुए, उसे पन्नों पर सजाने की तैयारी उन्होंने शुरू कर दी है।
किताब में न सिर्फ विकास की कहानी होगी बल्कि राजनीतिक उथल-पुथल का जिक्र होगा। हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, कांग्रेस नेता नटवर सिंह और भाजपा नेता जसवंत सिंह की तरह निशाने पर कौन होगा, यह अभी नहीं पता।
अमर उजाला से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने फिर कहा है कि वह अब सक्रिय राजनीति में नहीं रहेंगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं राजनीति से दूर रहूंगी।
वह कहती हैं कि मैं एक किताब लिखूंगी जिसमें टाइम दूंगी। किताब में क्या कुछ होगा? इस सवाल पर शीला ने कहा है कि जो कुछ 15 साल में देखा, अनुभव किया, सब कुछ उसमें शामिल होगा।
शीला दीक्षित 1998 में दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने से पहले पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का चुनाव हार गईं थी। प्रदेश में पार्टी की अध्यक्ष बनीं तब तक बाहरी थीं, दिग्गज नेताओं से टक्कर लेनी पड़ी।
जिससे भी बिगड़ी उन नेताओं को पीछे धकेलते हुए पार्टी को तीन बार दिल्ली में जीत दिलाई और मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। इस दौरान बिजली के निजीकरण से चढ़ाई शुरू हुई तो कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन ने विश्व परिदृश्य में चढ़ाया।
वहीं दिल्ली में रामदेव और अन्ना आंदोलन के बाद आए अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को हल्के में आंका और पार्टी को करारी हार मिली। इन सभी पहलुओं को किताब में शामिल किए जाने की उम्मीद रखी जा सकती है।
चाहे कुछ भी हो लेकिन किताब लिखे जाने की घोषणा मात्र से ही राजनीतिक धुरंधर उस किताब में अपनी जगह और किरदार की भूमिका जरूर सोचेंगे।