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बदायूं: पेड़ पर खुद चढ़ बहनों ने इसलिए की आत्महत्या

बदायूं की नाबालिग लड़कियों की मौत की नई ‘थ्योरी’ पर सवाल उठ रहे हैं। सीबीआई ने पांच महीने की पड़ताल के बाद कहा है 28 मई की रात मौत का शिकार हुई बहनों की हत्या नहीं हुई थी, ब‌‌ल्‍कि उन्होंने आत्महत्या की थी। लड़कियों के साथ दुष्कर्म होने के आरोप को भी जांच एजेंसी ने खारिज कर दिया है।

जांच एजेंसी का कहना है क‌ि अब इस मामले में न कोई आरोपी है और न ही किसी ने लड़कियों को आत्महत्या के लिए उकसाया था। सीबीआई शुक्रवार को रिपोर्ट अदालत को सौंप देगी। सीबीआई ने ‌‌रिपोर्ट में माना है ‌कि दोनों बहनों में से एक के मुख्य आरोपी पप्पू यादव से शारीरिक संबंध थे। वारदात की शाम भी पप्पू और बड़ी बहन के बीच मुलाकात हुई। गांव के ही एक सदस्य ने दोनों को एक साथ देखा।

उस सदस्य ने दोनों के बीच हुई बातों को, जो फोन पर रिकॉर्ड हो गई ‌थीं, को गांव के अन्य लोगों को सुनाया। बहनों की आत्महत्या का कारण ये बातें ही बनीं। सीबीआई की रिपोर्ट में नई ‘थ्योरी’ के पक्ष में और भी कई दलीलें गई हैं। ‌‌प‌ढ़िए, क्या हैं सीबीआई की दलीलें।स‌ीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि दोनों बहनों के परिजनों ने पप्पू और बड़़ी बहन के बीच हुई बातों को, जो फोन पर रिकॉर्ड हो गई थीं, को गांव के 15 लोगों को सुनाया। बात में कई ऐसे संकेत थे, जिससे पप्पू और बड़ी बहन के बीच शारीरिक संबंध बनने की बात जाहिर हो रही थी।

उल्लेखनीय है कि दोनों बहनों की लाश 28 मई को गांव के बाहर आम के पेड़ से लटकती मिली थी। स्‍थानीय डॉक्टरों ने पोस्टमॉर्टम में कहा था कि उन्हे दुष्कर्म के बाद फांसी दी गई थी।

मामले में परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर पप्पू यादव समेत पांच आरोपियों को ‌‌गिरफ्तार किया गया था। हालांकि सीबीआई ने अपनी जांच में उन्हें निर्दोष माना।

सीबीआई ने ये भी कहा कि स्‍थानीय डॉक्टरों द्वारा दी गई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस की आरंभिक जांच गलत थी।स‌ीबीआई के अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में छोटी बहन के माहवारी के खून को दुष्कर्म के बाद निकला खून मान लिया गया था। बड़ी बहन के गुप्तांग के आसपास धब्‍बे थे, शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया कि ये धब्बे दुष्कर्म किए जाने के कारण थे।

सीबीआई अधिकारी ने कहा कि लड़कियों की लाश 12 घंटे से ज्यादा पेड़ पर लटकती रही थी, जिसके कारण गुप्तांग के इर्दगिर्द धब्बे पड़ गए थे। लड़कियों के शरीर पर किसी भी चोट के ‌निशान नहीं थे, मात्र गर्दन पर फांसी के फंदे के कसने का चिन्ह था। सीबीआई के अधिकारी ने बताया कि फांसी के फंदों के निशान आम तौर पर वैसे ही होते हैं, जैसे उन लड़कियों के गलों में थे।

‌अधिकारी ने कहा‌ कि जिन्हें आरोपी बताया गया था वे वारदात के वक्त वहां नहीं थे, ये बात पूछताछ में भी सामने आई।अधिकारी ने बताया कि लड़कियों ने पूरे कपड़े पहन रखे थे, उनके हाथों में चूड़ियां था। बालों का क्लिप भी सही ढंग से लगा था। उन्होंने जिस पेड़ पर फांसी लगाई, उस पर आसानी से चढ़ा भी जा सकता था।

मेडिकल बोर्ड और सीएफएसएल ने उस वारदात की एक डमी जांच भी की, मतलब यह कि लड़कियों के वजन और लंबाई की डमी के जरिए देखा गया कि फांसी खुद लगाई गई थी या किसी और ने दी ‌थे। नतीजा यही था कि फांसी उन्होंने खुद लगाई थी

सीबीआई के अधिकारी ने बताया कि वारदात की रात किसी ने मदद के लिए किसी की चीख भी नहीं सुनी, जिससे ये माना जाए कि लड़कियों के साथ जोर-जबर्दस्ती की गई।लड़कियों के शरीर पर किसी मर्द के डीएनए के निशान भी नहीं मिले और आरोप‌ियों के जिस्म पर किसी महिला के डीएनए के निशान भी नहीं थे। लाई ‌डिटेक्टर टेस्ट में सभी आरोपी पास रहे थे, जबकि लड़कियों के घर वालों की बातों में कई झोल थे। उन्होंने लड़कियों के मोबाइल फोन और चप्पलों के बारे में भी गलत जानकारी दी।

मसलन घर वालों ने सीबीआई को एक फोन दिया, जिसका इस्तेमाल लड़कियां करती थीं, लेकिन उसमें मेमोरी कार्ड नहीं थी। सीबीआई के हाथ एक और फोन लगा, लेकिन वह टूटा हुआ था।

परिजनों ने जो रिपोर्ट दर्ज कराई उसमें आरोपियों के नाम अलग-अलग बताए गए थे। सीबीआई के मुताबिक बड़ी बहन और पप्पू के बीच छह महीनों से शारीरिक संबंध थे। उस अतंराल में दोनों के बीच लगभग 400 बार फोन पर बात हुई थी। छोटी बहनों दोनों के बीच मध्यस्‍थ का काम करती थी। सीबीआई के अधिकारी ने बताया कि वारदात के दिन छोटी बहन ने पप्पू को छह बजे सुबह फोन किया था और उससे मेले में घूमने के लिए पैसा मांगा था। तय हुआ था कि वे शाम को मिलेंगे। रात के खाने के बाद दोनों बहने शौच जाने की बात कहकर घर से बाहर निकल गई। उस वक्‍त 9 बज रहे थे।

घर से निकलने के बाद उन्होंने पप्पू से संपर्क किया। मुलाकात लड़कियों के घर के पीछे ही हुई। घर गांव के बाहर था, जहां पशुओं के लिए चारा रखा जाता था। पप्पू ने वहां उन्हें 200 रुपए दिए थे। इस दौरान छोटी बहन आसपास नजर रखे हुए थे कि कोई उन्हें देख न ले।

उस वक्त पप्पू और बड़ी बहन एक दूसरे से शारीरिक संबंध बनाने ही वाले थे कि उन्हीं का एक परिचित नजरू वहां पहुंच गया। उस वक्त लगभग 9.30 बज रहे थे।परिजनों ने गांव के लगभग 15 लोगों को जुटाया और उनमें से दो पप्पू के घर गए। पप्पू घर पर अपने दो भाइयों के साथ था। उन्होंने उसके घर की तलाशी भी ली, लेकिन लड़़कियां वहां नहीं मिली। रात 1.15 बजे तक लड़कियों की तलाश चलती रही।

उसी समय गांव के ही एक आदमी ने बताया‌‌ कि उसने छोटी बहन को किसी से फोन पर बात करते सुना था। घर वालों ने फोन की तलाश की। फोन में बातचीत रिकॉर्ड करने की सुविधा थी। छोटी बहन और पप्पू के बीच सुबह में हुई बातचीत ‌रिकॉर्ड हो गई थी। उस बातचीत को सभी गांव वालों ने सुना।

जिसके बाद परिजनों ने फैसला‌ किया कि वे मामले की पुलिस में शिकायत करेंगे। लगभग ढाई बजे पप्पू के घर पुलिस पहुंची। पप्पू घर पर अपने दो भाइयों के साथ ही था। पप्पू ने उस वक्त लड़कियों के गायब होने के लिए नजरू को जिम्मेदार ठहराया। पुलिस ने जब नजरू से कड़ाई से पूछताछ की, वह रोने लगा। लड़कियों के परिजनों ने उस समय नजरू का पक्ष लिया और पुलिस पर उसे डराने-धमकाने का इल्जाम मढ़ दिया।

नजरू के साथ वे सभी लोकल पुलिस की शिकायत करने के लिए बदायूं पुलिस हेडक्‍वार्टर निकल गए। लगभग पाचं बजे परिजनों को पता चला कि लड़कियों लाश पेड़ से लटक रही है। उन्हें क‌िसी ने फोन पर ये जानकारी दी थी।

सीबीआई अपनी नई थ्योरी में ये नहीं बता पाई है कि 9.30 बजे जब लड़कियां आखिरी बार देखी गई, तब और जब उनकी लाश पहली बार देखी तब, उसके बीच में क्या हुआ। लड़कियों के पास जो फोन था, वह 9.30 बजे से ही स्विच्ड् ऑफ था। उसे 12 सेकंड के लिए 11.40 बजे ऑन किया गया, जिसका मलतब था कि वे उस समय तक जीवित थीं।

मेडिकल बोर्ड का मानना है कि लड़कियों की मौत 2 बजे के आसपास हुई।

NCR Khabar News Desk

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