AMU: छात्राओं के लिए खुलेंगे लाइब्रेरी के दरवाजे

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की मौलाना आजाद लाइब्रेरी के दरवाजे 54 साल बाद वीमेंस कॉलेज की छात्राओं के लिए खुल जाएंगे। इस हक के लिए छात्राएं पिछले दस साल से आवाज उठाती आ रही हैं। अब छात्राएं वहां बेरोक टोक जाकर किताबें ले सकेंगी और रीडिंग रूम में पढ़ सकेंगी। अभी तक मौलाना आजाद लाइब्रेरी में कैंपस में रहने वाले छात्र-छात्राओं को ही पुस्तकें इश्यू कराने एवं रीडिंग रूम में बैठकर अध्ययन की इजाजत थी।
एएमयू की मौलाना आजाद लाइब्रेरी की स्थापना 1960 में हुई थी। उस समय से लेकर आज तक वीमेंस कॉलेज की छात्राओं के लिए लाइब्रेरी के दरवाजे बंद थे। पिछले एक दशक से छात्राएं हक के लिए आवाज उठा रही थीं।
10 नवंबर को वीमेंस कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के अधिष्ठापन समारोह में नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने इस मसले को कुलपति के सामने प्रमुखता से उठाया था। उसी समारोह में उपाध्यक्ष नुरैन बतूल ने कुलपति जमीरउद्दीन शाह की तरफ सवाल उछाला था कि क्या वीमेंस कॉलेज की छात्राएं मौलाना आजाद लाइब्रेरी की हकदार नहीं है? लड़कियों के साथ यह अन्याय क्यों? हमसे कहा जाता है कि आपकी लाइब्रेरी वीमेंस कॉलेज में है।
उसके बाद कुलपति जमीरउद्दीन शाह द्वारा दिए गए विवादित बयान ‘लड़कियां आएंगी तो लड़कों की भीड़ चार गुणा बढ़ जाएगी’ ने आग में घी का काम किया और राष्ट्रीय स्तर पर इसकी निंदा होने लगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में छात्राओं को 54 साल बाद उनका हक मिला है। इस संबंध में एएमयू पीआरओ डॉ. राहत अबरार का कहना है कि अभी उनके पास निर्णय की कॉपी नहीं पहुंची है। उच्च न्यायालय का जो भी निर्णय होगा, उसका पालन किया जाएगा।
छात्राओं ने नहीं मनाया जश्न
मौलाना आजाद लाइब्रेरी में प्रवेश से वंचित वीमेंस कॉलेज की छात्राओं को 54 साल बाद हक प्राप्त हुआ। मगर संयोग कुछ ऐसा रहा कि छात्राएं अपने हक का जश्न मनाने की स्थिति में नहीं थीं। मेधावी साथी छात्रा गार्गी की हादसे में मौत के कारण कॉलेज में सन्नाटा पसरा रहा। कॉमर्स संकाय में क्लास नहीं चली।
ट्रक की चपेट में आने से सोमवार को वीमेंस कॉलेज की बीकॉम फाइनल ईयर की मेधावी छात्रा गार्गी चौहान का निधन हो गया था। इसकी सूचना मिलते ही कॉलेज का माहौल गमगीन हो गया। मंगलवार को कॉमर्स संकाय की कक्षाएं नहीं चलीं। वीमेंस कॉलेज स्टूडेंट यूनियन की उपाध्यक्ष नुरैन बतूल, सचिव अफरा खानम कॉलेज की दर्जनों छात्राओं के साथ गार्गी के घर पहुंचीं और परिजनों को सांत्वना दी।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मौलाना अब्दुल कलाम पुस्तकालय में छात्राओं का प्रवेश रोकने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। कुलपति के निर्णय को भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट ने कहा कि जिस पुस्तकालय में छात्रों को प्रवेश की इजाजत है, वहां छात्राओं को जाने से कैसे रोका जा सकता है। कोर्ट ने वीसी द्वारा सुरक्षा का हवाला देकर छात्राओं को रोकने पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय जैसी संस्था द्वारा ऐसे कारण बताना पूरी तरह से अनुचित है क्योंकि परिसर में सुरक्षा देना उनकी जिम्मेदारी है। विधि छात्रा दीक्षा द्विवेदी और अन्य द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने कुलपति के इस आश्वासन के बाद याचिका निस्तारित कर दी कि अब लाइब्रेरी में सभी को जाने की इजाजत दे दी गई है।
कुलपति जमीरुद्दीन शाह की ओर से दाखिल हलफनामे कहा गया कि इसी सत्र से महिला कालेज में पढ़ रही छात्राओं को भी प्रवेश की इजाजत दे दी गई है। कुलपति के हलफनामे में उन कारणों का हवाला दिया गया जिनकी वजह से छात्राओं को प्रवेश से रोका गया। खंडपीठ ने कहा यह कहना कि छात्राओं के प्रवेश से असुरक्षा बढ़ेगी मनमाना पूर्ण और असंवैधानिक है। लिंग के आधार पर भेदभाव करना संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। संविधान समानता का अधिकार देता है।
खंडपीठ ने कुलपति के उस आदेश पर भी कड़ी टिप्पणी की जिसमें उन्होंने छात्राओं के अभिभावकों को पत्र भेज कर कहा था कि यदि लड़कियां लाइब्रेरी जाती हैं तो अभिभावक स्वयं उनकी सुरक्षा के जिम्मेदार होंगे। कहा कि इस प्रकार का आदेश देना गैर जिम्मेदाराना और असंवैधानिक है। खंडपीठ ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि यदि विश्वविद्यालय सुरक्षा की मांग करता है सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। उल्लेखनीय है कि एएमयू कुलपति जमीरूद्दीन शाह ने गत दिनों मौलाना आजाद पुस्तकालय में छात्राओं को यह कहते हुए प्रवेश की इजाजत नहीं दी कि छात्राओं के वहां जाने से छात्रों का ध्यान भटकेगा। लाइब्रेरी में स्थान की कमी है। छात्राओं की सुरक्षा की समस्या भी खड़ी होगी।