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मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार के पीछे ये है असली वजह

न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के वादे के साथ केंद्र की सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में भविष्य की रणनीति के साथ वर्तमान की भी चिंता साफ नजर आई।

केंद्र में काबिज होने के बाद राज्यों में सत्ता हथियाने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय और सामाजिक संतुलन बिठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। मंत्रिमंडल का आकार बढ़ जाने के सवालों को थामने के लिए प्रधानमंत्री ने राज्यों में अपनी काबिलियत साबित कर चुके कुछ चेहरों के साथ पार्टी के बाहर के चेहरे को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया।

प्रधानमंत्री ने सरकार की शासन की क्षमता बढ़ाने और छवि दुरुस्त करने के लिए मनोहर परिकर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिलाकर तो शिवसेना के वरिष्ठ नेता सुरेश प्रभु को भाजपा की सदस्यता दिलाकर अपनी टीम में शामिल करने से भी परहेज नहीं किया।

जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है तो प्रधानमंत्री ने सियासी रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण इस सूबे में जातिगत समीकरण साधने की पूरी कोशिश की है। मसलन निषाद बिरादरी की साध्वी निरंजन ज्योति को मंत्री बनाकर जहां पूर्वांचल में प्रभावी इस बिरादरी और ओबीसी को संदेश दिया है।

वहीं दलित बिरादरी के रामशंकर कठेरिया, ब्राह्मण बिरादरी के डॉ. महेश शर्मा को अपनी टीम में जगह देकर इन बिरादरियों पर डोरे डालने का काम किया है। अल्पसंख्यकों को सकारात्मक संदेश देने के लिए मुख्तार अब्बास नकवी को नई टीम में जगह दी गई है।

माना जा रहा है कि नकवी देर सबेर नजमा हेपतुल्ला की जगह पार्टी का मुस्लिम चेहरा बनेंगे। वहीं विजय सांपला के सहारे पंजाब तो हंसराज अहीर के सहारे महाराष्ट्र में दलित-ओबीसी सियासत साधने का दांव चला गया है।

सियासी और जातीय समीकरण साधने के लिए प्रधानमंत्री ने दलबदलुओं को उपकृत करने के आरोपों की भी परवाह नहीं की है। हरियाणा से चौधरी बीरेंद्र सिंह कांग्रेस से तो बिहार से मंत्री बनाए गए रामकृपाल यादव राजद से भाजपा में आए हैं।

इसी तरह गिरिराज सिंह के विवादास्पद बोल और उनके घर से चोरी हुई करीब सवा करोड़ की नगदी का रहस्य किसी से छिपा नहीं है लेकिन बिहार के समीकरणों के कारण उन्हें भी मंत्री पद से नवाजा गया।

वंशवाद नहीं योग्यता को तरजीह
पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के हजारीबाग से सांसद बेटे जयंत सिन्हा को सरकार में शामिल करने पर पीएम पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लग सकता है लेकिन हावर्ड से पढ़े सिन्हा को उनकी आर्थिक मामलों में विशेषज्ञता की वजह से मंत्री बनाया गया है।

NCR Khabar News Desk

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