हरियाणा और महाराष्ट्र का चुनावी किला फतह करने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने अब अपना सारा ध्यान आर्थिक सुधारों और भारत में कारोबार करना आसान बनाने पर लगाया है।
सरकार निवेश प्रस्तावों को सिंगल विंडो क्लीयरेंस देने के लिए अगले साल मार्च तक ई-बिज पोर्टल लांच करेगी। यह सारे मंत्रालयों को एक ही ऑनलाइन प्लेटफार्म पर ले आएगा ताकि कारोबार के लिए जरूरी क्लीयरेंस की ज्यादातर प्रक्रिया, लाइसेंस और टैक्स से जुड़े मुद्दे डिजिटल तौर पर ही निपट जाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली दोनों को अक्सर विदेशी निवेशकों के भारत में लालफीताशाही, निष्क्रिय नौकरशाही और कारोबार में बाधा पैदा करने वाली दूसरी अड़चनों से जुड़े सवालों का जवाब देना पड़ता है। देश में बहुत अधिक कागजी कार्यवाही, क्लीयरेंस और लाइसेंस की प्रक्रिया की वजह से विदेशी निवेश पैसा लगाने से कतराते रहे हैं।
यहां तक भारत में रजिस्ट्रेशन के लिए भी लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। पीएमओ और कैबिनेट सचिवालय ने अब इन दिक्कतों को दूर करने की जिम्मेदारी डीआईपीपी के सचिव अमिताभ कांत पर सौंपी है। मार्च तक सिंगल विंडो सिस्टम क्लीयरेंस शुरू करने का काम उनके ही जिम्मे होगा। मार्च में पोर्टल शुरू होते ही एक साथ 50 से 60 क्लीयरेंस मिल सकेंगे। अब तक छह महीने में दो क्लीयरेंस ही मिल पाते हैं।
क्लीयरेंस के लिए सिर्फ आईडी और पासवर्ड के जरिये इस पोर्टल पर लॉग-इन करना होगा। नई परियोजना और मौजूदा परियोजनाओं की दूसरी जरूरतों के लिए इसी पोर्टल का इस्तेमाल होगा। दरअसल अब एफआईपीबी, टैक्स, आबकारी शुल्क, सेवा कर और हाल में लांच वन और पर्यावरण क्लीयरेंस ऑनलाइन हो चुकी है और ये सभी अब एक साथ सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल से जुड़ जाएंगी।
दरअसल इस कवायद का मकसद भारत को आकर्षक निवेश केंद्र और मेक इन इंडिया को सफल बनाना है।
गौरतलब है कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत में कारोबार करना मुश्किल है। वर्ष, 2011 में इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन की ओर से जारी जारी डुइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत 189 देशों की सूची में 134 नंबर पर था। यह स्थिति तब है जब भारत एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। बिजनेस करने में आसानी के मामले में ब्रिक देशों में भारत सबसे नीचे है।