विनय भूषण पांडे ने लिखा है या व्यंग अपनी फेसबुक वाल पर 🙂 इसे हम ऐसे ही पेश कर रहे है — माडरेटर :एनसीआर खबर
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX
साथियों आज बड़ी ही चिंताजनक स्थिति आ पहुंची है। इन संघी-भाजपाइयों ने केवल भारत में ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में अपने एजेंट फैला रखे हैं। इस बात का खुलासा इसी से हो जाता है कि जब एक अति बुद्धिजीवी एवं महान सेक्युलर पत्रकार राजदीप सरदेसाई जी अमरीका गए तो इन्ही संघियों ने उनका हाल वही किया जो कि वो हमारे युगपुरुष जी का करते आये हैं। राजदीप जी का गाल सेंकने वाला पक्का कम्युनल संघी-भाजपाई ही था, इस बात की पुष्टि उसके कुर्ते के पीले रंग से हो जाती है। मतलब ये कि राजदीप सरदेसाई को पड़े झापड़ के पीछे आर एस एस का हाथ था! साथियों, यदि वह सेक्युलर होता तो हम उसके कंटाप का बुरा नहीं मानते साथियों, पर किसी कम्युनल इन्सान को कतई नहीं सहेंगे।
साथियों, कम ही लोग जानते हैं कि भले ही चाँटा वहाँ अमरीका में राजदीप जी को लगा, पर उसकी ज्वलंत पीड़ा यहाँ भारत में बैठे युगपुरुष केजरीवाल जी, अति बुद्धिमान तथा अति लिबरल प्रशांत भूषण जी एवं ‘पावर हाउस’ श्री पवार जी ने महसूस की थी! और तो और, हमारे विश्वसनीय सूत्रों से हमें ज्ञात हुआ है कि इन कम्युनल लोगों ने राजदीप जी को इसलिए भी कूट दिया क्योंकि उनके नाम में ‘साईं’ आता है, और इन कम्युनल गुंडों को साईं बाबा को भगवान मानने से परहेज है।
कुछ लोगों का कहना है कि खाजदीप…अररर मेरा मतलब है राजदीप जी (ये ऑटो-करेक्ट भी ऑटो-करप्ट हो चुका है जी! बिक गया है ये भी अदानी और अम्बानी के हाथों!) … हाँ तो कहाँ था मैं? जी, कुछ लोगों का कहना है कि राजदीप जी ने पहले उस संघी गुंडे को गर्दभ-छिद्र अर्थात ऐस-होल कहा जिसपर उस संघी ने प्रतिउत्तर में महात्मा राजदीप को और तीव्र स्वर में वही शब्द से अलंकृत किया। अब ऐसे में सेक्युलर शिरोमणि राजदीप का क्रोध भड़क उठा। इस संघी की ये मजाल कि वो भारत के चौथे स्तंभ के ‘तृतीय पग’ राजदीप जी को ऐसा कुछ कह सके! इसपर भी राजदीप जी उस संघी को गले से लगा कर उसकी चूक समझाने का प्रयास करने के लिए अपनी भुजाएं खोल उसकी और लपके। पर भीड़ में से किसी ने उन्हें धक्का दे दिया और इसी धक्के के कारण राजदीप जी का संतुलन खो बैठा और उनसे उस संघी को धक्का लग गया। इन कम्युनल संघी गुंडों का जन्म-जात गुण है कि ये ईंट का जवाब पत्थर और फूल का जवाब गोभी के फूल से देते हैं; राजदीप जी के इस कोमल से धक्के का उत्तर उस पीले कुर्ते वाले संघी ने उन्हें जोर से ढकेल कर दिया। धक्का इतना तीव्र था कि कोमल ह्रदय वाले राजदीप जी की कोमल कमरिया में मोच आ गयी! इतना ही नहीं, वहाँ उपस्थित बाकी के संघी-भाजपाई गुंडों ने इस पूरी घटना का वीडियो भी रिकॉर्ड किया। इसके बाद भीड़ हिंसक हो चली थी। साथियों, किसी प्रकार महामहिम राजदीप जी अपने प्राण और गा… गाड़ी, मेरा मतलब प्राण और गाड़ी को बचा कर वहाँ से निकल पाए, नहीं तो आप सभी को तो भली भाँती पता ही है कि ये संघी गुंडे किस प्रकार की कम्बल कुटाई करते हैं। ये अतिचतुर राजदीप जी की तीव्र बुद्धि का ही कमाल था कि वो बिना गाल सुजाये वहाँ से बाच निकलने में सफल हो पाए।
विडिओ को देख कर अवश्य लगा होगा कि राजदीप की ही गलती थी, परन्तु ऐसा कदापि नहीं है। साथियों जैसा दिखता है वैसा है नहीं, और यही तो स्कैम है,
इसी के लिए तो हम लड़ रहे हैं।
साथियों, हम ने निर्णय लिया है कि अबकि चुनावों में राजदीप जी जैसे इमानदार और सेक्युलर व्यक्ति को हम अपनी पार्टी से मैदान में उतारेंगे, चाहे उनकी जमानत ही क्यों न जप्त हो। चांटा खा कर राजदीप जी ने साबित कर दिया है की वो हमारी पार्टी के लिए सही उम्मीदवार हैं।
जय चन्दा, जय झाड़ू, जय अरविन्द।
चंदे मातरम।