पाकिस्तान के सांसद भी बोल पड़े, जय हिन्द की सेना
जम्मू-कश्मीर में बाढ़ में फंसकर त्राहि त्राहि कर रहे लोगों के लिए सेना एक फरिश्ता बन कर आई है। बाढ़ से जिंदा बचकर निकले हर व्यक्ति की जुबान पर बस सेना का ही नाम है। देशी ही नहीं विदेशी भी सेना की तारीफों के पुल बांधते नहीं थक रहे हैं।
पाकिस्तान से श्रीनगर आए सांसदों के दल को सेना ने बचाया तो उनकी भी जुबां से भी निकल पड़ा जय ‘हिंद’ की सेना। पाकिस्तान मुस्लिम लीग की सांसद आएशा जावेद तो आर्मी की तारीफ करती नहीं थकती। पाकिस्तान से ही आए एक मशहूर शिक्षाविद और धार्मिक नेता को सेना ने बचाया तो वो भी भारतीय सेना की तारीफ किए बिना नहीं रह सके।
यही कारण है कि अभी तक सेना से दूरी बनाकर रखने वाली कश्मीरी अवाम भी सेना के जज्बे की कायल है। बाढ़ से बचाव के लिए लोगों को स्थानीय प्रशासन की बजाय केवल सेना पर ही भरोसा रह गया है। प्रभावित क्षेत्रों में लोग केवल सेना को ही बुलाने की बात करते हैं।
कश्मीर में बाढ़ के दौरान सेना ने न केवल कई-कई दिन से फंसे लोगों को बहादुरी का परिचय देते हुए सुरक्षित निकाला बल्कि तभी से उनके खाने पीने और अन्य जरूरतों का ख्याल रखते हुए सभी इंतजामात किए जा रहे हैं।
सेना लोगों की छोटी-छोटी जरूरतों का भी पूरा ख्याल रख रही है। इसके अलावा राज्य के बिगड़े हाइवे और पुलों को भी तेजी से मरम्मत कर रास्ते तैयार किए जा रहे हैँ। आलम ये है कि बाढ़ की पूरी व्यवस्था सेना ने अपने हाथों में संभाल ली है।
लोगों की जान बचाने के लिए सेना के जांबाज कहीं भी किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। यही कारण है कि सेना के इस जज्बे के कायल हो गए हैं घाटी के लोग।
एक ओर कश्मीर में आई बाढ़ में सुरक्षाबल और एनडीआरएफ जान की बाजी लगाकर लोगों को सुरक्षा दे रहे हैं वहीं स्थानीय प्रशासन पूरी तरह फेल हो गया है। आलम ये है कि पूरी व्यवस्था सेना और केन्द्र द्वारा भेजे गए अधिकारी ही संभाल रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन का कोई नुमाइंदा कहीं दिखाई नहीं देता। ऐसा लग रहा है जैसे उन्होंने पूरी तरह हार ही मान ली हो। सेना ही लोगों को बाहर निकाल कर उनके खाने पीने और रहने का इंतजाम कर रही है।
बीएसएफ और एनडीआरएफ इस काम में उनकी मदद कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन पूरी तरह गायब है। इसके अलावा घाटी में छोटी छोटी बात पर हंगामा बरपाने वाले अलगाववादी संगठन और राजनीतिक दल तो न जाने कहां गायब से हो गए हैं।