उसके घर मर्द जब भी आता, ग्राहक बन कर आता।
उस दिन भी ग्राहक आया तो मां कमरे से बाहर चली गई। जाते-जाते अलमारी में रखे टेप रिकॉर्डर को ऑन कर गई। 14 साल की बेटी से बोली, शोर मत करना। ये कुछ करे तो भी…..! उस मर्द की उम्र 20 साल रही होगी।
कोलकाता के रेडलाइट इलाके का वह 10X8 फीट का कमरा, जिसमें ढेले सा एक गद्दा, धूल भरा एयर कंडीशनर, अलमारी में रखी चंद देवताओं की तस्वीरें और एक टेप रिकॉर्डर था, अब 14 साल लड़की और 20 साल के लड़के की मौजूदगी को भी दर्ज कर रहा था। लड़की कांप रही थी, घुटी-घुटी आवाज में चीख भी रही थी।
लड़के ने उसे जोर से धक्का दिया। वह मदद के लिए चीखी भी। टेप की आवाज इतनी तेज थी कि अपनी आवाज भी सुन पाना मुश्किल था। वह और संघर्ष नहीं कर सकती थी। वह निढाल होकर बिस्तर पर पड़ गई, मानो जिस्म से हर बूंद निचुड़ गई हो।
लड़के ने जाते-जाते कहा, ‘ बच्ची, तुम्हारी मां को पचास हजार रुपए दिए थे, केवल दो घंटे साथ बिताने के लिए।’वह मर्द चला गया लेकिन वह अब भी कमरे में दर्द से कराह रही थी। उसकी मां ने उसे दवाएं दीं ताकि दर्द कम हो सके। उसके बाद उसकी मां ने उसे कई महीनों के लिए उसे अकेला छोड़ दिया।
15 साल की होते ही वह धंधे में फिर लौट आई। ये ऐसा मोड़ था, जहां से वापसी नहीं हो सकती थी। और उस बार वह तैयार होकर आई थी।
वेश्यावृत्ति के धंधे में किशोर उम्र की लड़कियों को उतारने का ये पहला केस नहीं था। सामाजिक संस्था दासरा की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एक करोड़ 60 लाख को महिलाएं देह व्यापार का शिकार हैं।
भारत में महिलाओं की तस्करी तेजी से बढ़ी है, जिसमें 80 फीसदी महिलाओं को देह व्यापार के लिए बेचा जाता है। पुलिस इस धंधे को रोक पाने में लगभग नाकाम रही है।
नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2008 में मानव तस्करी के तमाम प्रावधानों में मात्र 3030 केस ही दर्ज किए गए थे। 2013 में इस आंकड़े में मामूली सा फर्क आया। ये बढ़कर 3940 हो गया।