स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन को सुनने के लिए देश के विभिन्न वर्गों के साथ-साथ वैश्विक बिरादरी में भी भारी उत्सुकता देखने को मिली। जिसे देख कर सरकार भी हैरान रह गई।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारत में 153 देशों के दूतावास हैं। आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में 50 से 60 देशों के राजनयिक हिस्सा लेते रहे हैं।
कभी-कभी यह संख्या थोड़ी बहुत बढ़ जाती थी। लेकिन इस बार मोदी के प्रधानमंत्री होने के कारण सरकार को 150 देशों के दूतावास की तरफ से पास उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया।
जिनमें से मात्र 144 राजदूतों एवं उच्चायुक्तों को ही पास दिये जा सके।
सूत्रों के अनुसार यह स्थिति अभूतपूर्व है जब भारत से राजनयिक संबंध रखने वाले तकरीबन हर देश के राजदूत एवं उच्चायुक्त ने मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण सुनने की उत्सुकता प्रदर्शित की।
विदेशी राजदूतों एवं उच्चायुक्तों की इस दिलचस्पी से सरकारी गलियारों में हैरानी जताई जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में राजदूतों एवं उच्चायुक्तों की मौजूदगी को देखते हुए स्वतंत्रता दिवस समारोह में पहली बार अंग्रेजी अनुवाद की व्यवस्था की गई थी।