धर्म और धार्मिक वजहें भी घुसा देते हैं अपराधों में .. वो भी सामान्य किस्म के मामलों पर। मसलन :
#बलात्कार को छिनैती या लूट जैसा मामला ना मानते हुए जघन्य टाइप देखने लगेंगे।
#आदत हो गयी है बलात्कार को बहुवचन में देखने की, सो हमेशा गैंगबाजी देखेंगे।
#सामूहिक बलात्कार की जगह को घटना स्थल नहीं, मदरसा कहेंगे।
#धर्म परिवर्तन करा, बंधक बना, गैंगरेप की घटना को अंजाम देने के साथ जबरिया विदेश भेजने जैसे तमाम हल्की – फुल्की बातों / आरोपों को अलग – अलग छोटी धाराओं के केस के रूप में नहीं देखेंगे। कहेंगे, साहेब.. इसमें धर्म इन्वॉल्व है।
अरे भाई … ऐसे मामलों को डाईलूट करिये, अगर बात करनी हो .. चाहते हों कि हम बोलें .. तो देखिये, इसे ऐसे बाँटिये।
बलात्कार : हुआ या नहीं !! बलात्कार : था .. या सामूहिक था !! युवती ने इतने दिनों बाद क्यों आरोप लगाया !! इसमें से वो घटना स्थल वाला मामला अलग रखिये, वो सामान्य घटना स्थल है। हाँ , ये धार्मिक परिवर्तन का आरोप एक अलग केस हुआ .. इसको उधर रखिये।
बाकी.. अपराधी की कोई जात नहीं होती। हाँ .. अब बोलिये .. क्या पूछना चाहते हैं ….!!
अवनीश शर्मा