भारत में बच्चों के लगातार गुम होने का मामला गंभीर रूप धारण करता जा रहा है।
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक ही पिछले तीन साल में करीब 75 हजार बच्चे ऐसे हैं, जिनके लापता होने के बाद अब तक तलाश जारी है।
संसदीय मामलों के राज्य मंत्री पबन सिंह घटोवर ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए यह जानकारी दी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ की अनुपस्थिति में सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में करीब 2 लाख 36 हजार बच्चे लापता हुए, जिसमें से 1 लाख 61 हजार 800 बच्चों को ढूंढ लिया गया। दुर्भाग्य से लगभग 75 हजार बच्चों का अभी तक कुछ पता नहीं है।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी कर सभी पुलिस स्टेशनों को इस तरह के मामलों से निपटने के लिए विशेष नोडल आफिसर नियुक्त करने को कहा गया है। साथ ही इस तरह के मामलों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है।
इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के दो अंतरिम आदेशों के बाद यह एडवाइजरी जारी की गई है। घटोवर ने स्वीकार किया कि बच्चों के लापता होने की घटनाएं काफी गंभीर रूप ले चुकी हैं।
उन्होंने सदन को जानकारी दी कि इस तरह के मुद्दों से निपटने के लिए ‘ट्रैकचाइल्ड’ नाम का वेबपोर्टल भी पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर चलाया जा रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि लापता बच्चों को पड़ोसी देशों में बेचने संबंधी कोई जानकारी नहीं मिली है।
अस्पतालों से बच्चे चोरी के होने की घटनाओं पर उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले सामने आए हैं, लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्यों की है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2011 में 34,406, 2010 में 23,236 और 2012 में 18,166 बच्चों का पता नहीं चल सका है।