स्वतंत्र भारत के निर्माताओं में से एक, सामाजिक न्याय के प्रवर्तक और एक लब्धप्रतिष्ठ विद्वान , डॉ भीमराव अम्बेडकर को उनकी जन्मतिथि पर नमन।
विश्व में बहुत कम ऐसे हुए है जिनके पास धारा के विपरीत चलने की क्षमता थी और विश्व में और भी कम ऐसे हुए हैं जिन्होंने उस धारा को ही मोड़ डाला। अम्बेडकर दूसरी श्रेणी में आते हैं।
अक्सर हम किसी स्वतंत्र व्यक्तित्व और कृतित्व को किसी और के व्यक्तित्व और कृतित्व के विपरीत खड़ा करने की कोशिश करते हैं। कहीं न कहीं यह अहम् को तुष्ट जरूर करता है लेकिन इस दौरान हम भूल जाते हैं कि ऐसा करके हम स्वयं उस व्यक्तित्व और कृतित्व का दायरा संकुचित कर रहे हैं।
अम्बेडकर आनेवाले समय में भी प्रासंगिक बने रहेंगे।
प्रसन्ना प्रभाकर