अगर हम हिंदू साधु संतों और भाजपा से यह चाहते हैं कि वे राजनीति में धर्म का घालमेल ना करें तो कांग्रेस और बुखारी साहब को भी इस पर अमल करना चाहिये था िक वे मुसलमानों से मज़हब के नाम पर अपील ना करते….हो सकता है कि बुखारी साहब का कोई सियासी सौदा हो गया हो लेकिन अब मुसलमान इतना समझने लगा है कि उसे क्या करना है…..जो कांग्रेस सबसे ज्यादा बेईमान है और उसने मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर कर दी अपने 50 साल के राज में अभी भी उसके पक्ष में बोलते शर्म नहीं आई.
इकबाल हिन्दुस्तानी