शादी के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किए जाने के सरकार के फैसले को देवबंदी उलेमा ने अस्वीकार करते हुए इसकी निंदा की है। उलेमा का कहना है कि सरकार का यह फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप है, जिसका विरोध किया जाएगा।
दारुल उलूम के नायब मोहतमिम मौलाना अबुल खालिक संभली ने शादी के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करने के सरकार के फैसले को दुश्वारी वाला फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि शादी के रजिस्ट्रेशन की कोई जरूरत नहीं है, इससे लोगों की परेशानियों में ओर इजाफा होगा।
दारुल उलूम वक्फ के वरिष्ठ उस्ताद मौलाना मुफ्ती आरिफ कासमी ने कहा कि हिंदुस्तान की ज्यादातर आबादी कम तालीम याफ्ता (अनपढ़) है। ऐसे में इस तरह के कानून को लामिजी बनाया जाना जनता को परेशानी में डालने वाला है। सरकार का यह फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ में खुला हस्तक्षेप है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है।
मुफ्ती आरिफ ने कहा कि सरकार के इस फैसला का विरोध किया जाएगा। मौलाना नदीमुल वाजदी ने कहा कि शादी के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करने का फैसला सरासर गलत है।
शादी दो लोगों का निजी मामला है और इसमें जितनी सहूलियत दी जाए बेहतर है। फैसले से दूर दराज रहने वाले लोगों को भारी दिक्कत झेलनी पड़ेगी साथ ही इससे भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह जनता के लिए आसानियां पैदा करें न कि उनकी परेशानियां बढ़ाए।