शिमला। प्रदेश सरकार ने हिमाचल अर्बन डेवलपमेंड अथॉरिटी (हिमुडा) का पैसा मंडी बस अड्डे के निर्माण पर खर्च करने के मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जांच के बाद हिमुडा के अफसरों पर गाज गिरना तय है।
वहीं, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह भी इसके घेरे में आ गए हैं। बस अड्डे के निर्माण पर पांच करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। हिमुडा एक नोडल एजेंसी है।
क्या है मामला
सरकार ने मंडी बस अड्डे का काम हिमुडा को सौंपा था। इस बस अड्डे पर पांच करोड़ रुपए से ज्यादा राशि खर्च की जानी थी। महेंद्र सरकार के पास हिमुडा के अलावा परिवहन विभाग भी था।
दोनों विभाग का मंत्री होने के कारण उन्होंने एक मद का पैसा दूसरी मद पर खर्च कर दिया। नियमानुसार ऐसा करना अनियमितताओं की श्रेणी में आता है।
जनवरी में दो करोड़ दिए थे निगम ने
विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभाली तो यह मामला सामने आया। इस दौरान हिमुडा ने हिमाचल पथ परिवहन निगम को राशि जमा कराने के लिए पत्र लिखा।
जनवरी में एचआरटीसी ने दो करोड़ की राशि हिमुडा के खाते में डाल दी। लेकिन, शेष तीन करोड़ के करीब अभी तक नहीं दिए। पैसे के मामले में हिमुडा को आश्वासन दिया गया था कि प्रदेश पथ परिवहन निगम की बीओडी की बैठक में बस अड्डे पर खर्च की जाने वाली राशि का मामला उठाया जाएगा।
हिमुडा के सीईओ बीबी कालरा ने बताया कि एचआरटीसी ने हिमुडा को बस अड्डा निर्माण के लिए एस्टीमेट दिया था। कुछ पैसा उन्होंने दे दिया था।
दोषियों को बख्शेंगे नहीं : सुधीर शर्मा
शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने कहा कि कोई भी काम करने से पहले हिमुडा के पास राशि जमा करानी होती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हिमुडा का पैसा मनमर्जी से मंडी बस अड्डे पर खर्च किया गया। उन्होंने कहा की मामले की जांच शुरू कर दी है। जो भी संलिप्त होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा।
हम जांच के लिए तैयार : महेंद्र सिंह
पूर्व हाउसिंग और एचआरटीसी मंत्री महेंद्र सिंह ने बताया कि अगर प्रदेश सरकार जांच की बात कर रही है तो हम इसके लिए तैयार हैं। हिमुडा का जो पैसा मंडी बस अड्डे के निर्माण में लगाया गया था, उसेलौटाना एचआरटीसी की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन के बाद यह सब होता रहता है।
क्या है मंडी बस स्टैंड का विवाद
14 सितंबर को मंडी के अंतरराज्जीय बस अड्डे के पहले चरण का उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था।
इसके पहले फेस के निर्माण पर 14 करोड़ रुपए खर्च हुए। स्थानीय विधायक अनिल शर्मा ने बस अड्डे का रिकॉर्ड तलब किया था।
बस अड्डे पर पहले 52 बसों के खड़े होने की बात की गई, लेकिन बाद में यह 18 कर इसमें सात मंजिला कॉम्प्लेक्स की व्यवस्था की गई, जिसपर जांच बैठाई गई।