मुजफ्फरनगर-शामली में सांप्रदायिक हिंसा से पनपी कड़वाहट दूर करने के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कसरत तेज कर दी है। शनिवार को उन्होंने दस मंत्रियों की कमेटी बनाई है, जो मुजफ्फरनगर जाकर कैंप करेगी।
मंत्रिमंडलीय कमेटी के सदस्य गांव-गांव जाकर दोनों पक्ष के लोगों से मिलेंगे। वे आपसी कड़वाहट दूर कर पलायन कर गए लोगों को फिर से गांवों में लौटाने का काम करेंगे।
सांप्रदायिक हिंसा से झुलसे मुजफ्फरनगर और शामली में सौहार्द कायम करने के लिए समाजवादी पार्टी ने गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं। खुद पार्टी मुखिया मुलायम इस काम में लग गए हैं।
उन्होंने शिवपाल सिंह यादव की अध्यक्षता में दस मंत्रियों की कमेटी गठित की है। इसमें कैबिनेट मंत्री रामगोविंद चौधरी, बलराम सिंह यादव, राज्यमंत्री शाहिद मंजूर, योगेश प्रताप सिंह, इकबाल महमूद, महबूब अली, चितंरजन स्वरूप मंत्री का दर्जा प्राप्त वीरेंद्र सिंह और साहब सिंह को रखा गया है।
उन्होंने इस कमेटी में शामिल मंत्रियों को शनिवार को अपने आवास पर बुलाया। लखनऊ में मौजूद बलराम सिंह यादव, इकबाल महमूद, शाहिद मंजूर, चितरंजन स्वरूप और योगेश प्रताप सिंह आदि से मुलायम सिंह ने लंबी बात की।
उन्होंने सभी मंत्रियों को रविवार सुबह फिर अपने आवास पर बुलाया है। इसी के बाद यह तय होगा कि मुजफ्फरनगर में मंत्रिमंडलीय समूह की एक्शन रिपोर्ट क्या होगी। मंत्रियों से बातचीत में मुलायम सिंह ने कहा कि आपसी सौहार्द और भाईचारे का माहौल बनाना हमारी पहली प्राथमिकता है।
कुछ लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं कि सद्भाव का माहौल कायम न हो सके। जिम्मेदार मंत्रियों को गांवों में जाकर खुद इसकी जिम्मेदारी संभालनी होगी।
सौहार्द करने की कसरत से आजम दूर
पश्चिमी जिलों में सौहार्द कायम करने की कसरत से वरिष्ठ मंत्री आजम खां को दूर रखा गया है। कमेटी में कई ऐसे मंत्री शामिल हैं, जिनका आजम खां से रिश्ते बहुत अच्छे नहीं माने जाते हैं।
ऐसा समझा जा रहा है कि मुजफ्फरनगर हिंसा में आजम खां पर आरोप लगने के कारण सपा उन्हें फ्रंट पर नहीं लाना चाहती है। गौरतलब है कि आजम हिंसा के बाद मुजफ्फरनगर के दौरे पर भी नहीं गए हैं।