बढ़ती उम्र के साथ-साथ पुरुषों के शरीर में भी हॉर्मोन संबंधी बदलाव होते हैं, जिनके कारण उन्हें कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पुरुषों में होने वाले इस बदलाव की स्थिति को मेडिकल भाषा में एंड्रोपॉज कहते हैं।
रोग का स्वरूप
पुरुषों को लगभग पचास साल की उम्र के बाद इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जैसे महिलाओं में रजोनिवृत्ति (मैनोपॉज) के दौरान हार्मोन संबंधी बदलाव होते हैं और उनके शरीर से कई हार्मोन खत्म होने लगते हैं या फिर हार्मोन संबंधी असंतुलन पैदा हो जाता है। लगभग उसी तरह एंड्रोपॉज में भी पुरुषों के शरीर से हॉर्मोन खत्म होने लगते हैं। इन हॉर्मोन्स के खत्म होने या इनके असंतुलन से कई तरह की शारीरिक तकलीफें शुरू हो जाती हैं। जैसे पुरुषों में शारीरिक संपर्क करने की इच्छा भी कम या खत्म होने लगती है।
लक्षण
-शरीर में बार-बार थकान होना।
-किसी काम में मन नहीं लगना।
-बार-बार आलस्य से ग्रस्त होना।
-पेशाब करने में दिक्कत होना।
-रुक-रुक कर पेशाब होना।
-पेशाब में जलन होना।
इलाज
पुरुषों के हॉर्मोन्स में बदलाव व असंतुलन या फिर उनके खत्म होने का कारण टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन होता है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाली इन दिक्कतों के लिए सीधे तौर पर यही हॉर्मोन जिम्मेदार होता है। इसीलिए एंड्रोपॉज के इलाज में दवा और इंजेक्शन के जरिये टेस्टोस्टेरोन शरीर में पहुंचाया जाता है। रोग का इलाज करने से पहले प्रोस्टेट स्पेशिफिक एंटीजेन (पीएसए) नामक जांच की जाती है। अगर किसी पुरुष की प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ी हुई है, तो लेजर ट्रीटमेंट के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है।
सार्थक सुझाव
पुरुषों के शरीर में बढ़ती उम्र के कारण टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के खत्म होने को एक स्वाभाविक शारीरिक घटना माना जाना चाहिए। इसे बीमारी नहीं मानें। दौड़-भाग वाली जीवन-शैली में इस तरह की शारीरिक परेशानियां आना स्वाभाविक है। इसलिए अपनी जीवन-शैली को संतुलित करने के लिए खानपान और व्यायाम पर ध्यान दें।
(डॉ. विनीत मल्होत्रा यूरोलॉजिस्ट,नई दिल्ली)