बागेश्वर – आपदा से तबाह हुए खेतों से मलबा हटाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने पीड़ित किसानों के साथ ऐसा मजाक किया, जिससे उनके जख्म और गहरे हो गए हैं। खेतों से मलबा हटाने के लिए पीड़ितों को 127 से लेकर 300 रुपये के चेक देकर मुआवजे की औपचारिकता पूरी कर ली गई। अधिकारियों की मानें तो मानक के अनुसार ही मुआवजा राशि दी गई, जबकि पीड़ित इसे बर्बादी के साथ खिलवाड़ बता रहे हैं।
कांडा तहसील के माणा दिगोली गांव में 25 लोगों को खेतों से मलबा हटाने के लिए जो धनराशि दी गई, उससे एक दिन की मजदूरी भी नहीं दी जा सकती है। गांव में आपदा राहत के नाम पर महज 127 रुपये के चेक मिलने से पीड़ित हैरान हैं। दरअसल पिछले दिनों आपदा के चलते कांडा के माणा दिगोली गांव में 25 लोगों की खेती योग्य जमीन पहाड़ों से मलबा बहकर आ जाने से बर्बाद हो गई थी। खेतों में खड़ी धान की फसल भी नष्ट हो गई थी। प्रभावित परिवारों ने प्रशासन से मुआवजे की गुहार लगाई। प्रशासन ने माणा दिगोली गांव के 25 परिवारों को 127 रुपये से लेकर 300 रुपये तक मुआवजे के चेक बांटे हैं।
कृषि योग्य जमीन से मलबा हटाने का जो मानक है, वह 300 रुपये प्रति नाली [आठ बिस्वा] का है। इस मानक के हिसाब से किसानों को मिला मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। किसानों के पूछने पर इलाके के तहसीलदार, महेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया, शासन ने मानक के हिसाब से खेतों से मलबा हटाने का जो मुआवजा है वह 300 रुपये प्रति नाली का है। गांव में लोगों के पास बहुत छोटे खेत हैं। मानक के अनुसार जो मुआवजा बनता है वह दिया गया।
किसे क्या मिला– एक परिवार को 127 रुपये
– दो परिवारों को 150 रुपये
– 22 परिवारों को 300 से 350 रुपये।