रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में भले ही आपके लिए कोई खास खुशखबरी न हो, लेकिन एक जबरदस्त संदेश जरूर है। हाई प्रोफाइल गवर्नर रघुराम राजन ने एक नया मंत्र सरकार को दिया है जो एक निवेशक के तौर पर आपके लिए भी सटीक बैठता है। आइए, उसी मंत्र की विस्तार से चर्चा करते हैं और देखते हैं कि नई समीक्षा आपकी बचत और निवेश पर क्या असर डालेगी..
रिजर्व बैंक ने देश की बैलेंस शीट और विकास के रोडमैप को दुरुस्त करने की वकालत की है, जिससे निवेशकों और नागरिकों के विश्वास की बहाली हो सके। इस समीक्षा में एक आम निवेशक के लिए भी स्पष्ट संदेश है कि आपकी बैलेंस शीट भी इतनी मजबूत होनी चाहिए कि किसी बाहरी उथल-पुथल का उस पर कम से कम असर पड़े। जाहिर तौर पर अपनी बैलेंस शीट को दुरुस्त करने के लिए आपको लोन पोर्टफोलियो में कमी करने और बचत व निवेश के हिस्से को बढ़ाने की रणनीति पर काम करना होगा। जितना हो सके कर्ज के बोझ को कम करने का प्रयास करें। होम लोन के अतिरिक्त किसी भी तरह के लोन का बोझ जितना कम हो सके आपकी बैलेंस शीट के लिए उतना ही बढि़या है। होम लोन पर टैक्स बेनिफिट मिलता है ऐसे में अगर यह जारी भी रहता है तो चिंता की कोई खास जरूरत नहीं है। हां, निवेश के पोर्टफोलियो को मजबूत बनाए रखें।
सबसे पहले खुशखबरी
आरबीआइ गवर्नर ने समीक्षा के बाद स्पष्ट किया कि आम आदमी को महंगाई के असर से बचाने के लिए खुदरा महंगाई दर से जुड़े सर्टिफिकेट पर काम शुरू हो चुका है। उन्होंने चार सितंबर को पद भार ग्रहण करने के तुरंत बाद इसकी घोषणा की थी। अच्छी खबर यह है कि आरबीआइ दो तरह से इंफ्लेशन इंडेक्स सर्टिफिकेट जारी करेगा। पहली तरह के सर्टिफिकेट में निवेश की अवधि के अंत में एकमुश्त रिटर्न का प्रावधान है। दूसरी तरह के सर्टिफिकेट में एक निश्चित अंतराल पर रिटर्न की व्यवस्था है, जो निवेशकों को बेहतरीन विकल्प देता है। ये नए सर्टिफिकेट सीपीआइ यानी खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित होंगे। अभी खुदरा मूल्य सूचकांक की वृद्धि दर 10 फीसद के करीब है। अगर इस सर्टिफिकेट पर तीन फीसद का भी कूपन मिलता है तो सालाना रिटर्न 13 फीसद के करीब हो सकता है। सोने में निवेश का अकर्षण खत्म करने के लिए भी सरकार और आरबीआइ इस तरह के सर्टिफिकेट को बढ़ावा दे रहे हैं।
महंगाई पर लगाम
महंगाई पर नियंत्रण के लिए आरबीआइ ने रेपो दर में बढ़ोतरी का एलान किया है। इसमें बढ़ोतरी से होम, कार और पर्सनल लोन महंगे हो सकते हैं। अर्थशास्त्र के अस्त्र से महंगाई के दानव से लड़ाई का आरबीआइ का पुराना हथियार पहले ही कुंद पड़ चुका है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि यदि प्याज की जमाखोरी की वजह से थोक मूल्य सूचकांक पर असर होता है तो ब्याज दरों में बढ़त महंगाई को कैसे कम करेगी? इसी तरह, अगर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ते हैं तो उसके असर को रेपो दर में बढ़त कैसे कम कर पाएगी? आपके लिए संदेश यही है कि महंगाई बढ़ने के साथ-साथ अपनी बैलैंस शीट को सुरक्षित रखने के उपाय जारी रखें। कम से कम 10 फीसद से ज्यादा रिटर्न वाले रास्तों पर चलने से आप अपने फंड की महंगाई से सुरक्षा कर सकते हैं।
विकास को विस्तार
आरबीआइ की समीक्षा में एमएसएफ विंडो के तहत मिलने वाले कर्ज पर ब्याज दरें 0.75 फीसद घट गई हैं। साथ ही बैंकों को सीआरआर के तहत आरबीआइ के पास रोजाना औसत का 95 फीसद ही रखना जरूरी होगा। इस कदम का असर यह होगा कि बैंकों के लिए इमरजेंसी फंड पर ब्याज दर 10.25 फीसद नहीं, बल्कि 9.5 फीसद देना होगा। इससे उनके पास कारोबार के लिए कर्ज देने का स्कोप बढ़ जाएगा। विकास को सहारा देने के लिए उठाए गए इस कदम से बैंकों व कंपनियों की बैंलेंस शीट मजबूत होगी। इसकी वजह से विकास का माहौल सुधरने में मदद मिलेगी और आम आदमी के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
निवेश के क्या संकेत हैं
आरबीआइ ने संकेत दिए हैं कि वह कंपनियों की दशा सुधारने और बैंकिंग जगत की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को कम करने के लिए अगले कुछ हफ्तों में कदम उठाने जा रहे हैं। यानी आप बैंकों के शेयरों पर नजर रख सकते हैं। अगर एनपीए को दुरुस्त करने के लिए आरबीआइ कुछ कड़े कदम उठाता है तो बैंकों के शेयर लुढ़क सकते हैं। लेकिन अगर फैसला उनके लिए राहत भरा रहा, तो शेयरों में तेजी जरूर आएगी। सोने में निवेश को और भी अनाकर्षक बनाने का कोई रास्ता आरबीआइ व सरकार नहीं छोड़ना चाहते। त्योहारों के मौसम में दाम थोड़ा बढ़ सकते हैं, लेकिन निवेश के लिहाज से अभी बुलियन से दूर ही रहें। नए नियमन की दिशा तय होने से पहले कमोडिटी में निवेश मुसीबत में डाल सकता है।
हमें यह याद रखना होगा कि फेड ने अपनी टेपरिंग को केवल कुछ समय के लिए टाला है। इस वक्त का इस्तेमाल देश के लिए एक बुलेट प्रूफ बैलेंस शीट और विकास का रोडमैप तैयार करने के लिए होना चाहिए, जो नागरिकों और निवेशकों में विश्वास पैदा कर सके।”
रघुराम राजन
आरबीआइ गवर्नर
मेरे विचार से यह नीति संतुलित है। उन्होंने (आरबीआइ गवर्नर) कुछ ऐसा किया है जिससे तरतला में बढ़त होगी और यह संकेत भी जाएगा कि आरबीआइ महंगाई पर लगाम लगाने के लिए प्रतिबद्ध है। आपको दोनों ही संदेश देने होंगे। यह सही तरीका है।
मोंटेक सिंह अहलूवालिया,
उपाध्यक्ष, योजना आयोग
लघु अवधि में कर्ज पर ब्याज दरें ऊंची रहेंगी। अगर सरकारी ट्रेजरी बिल्स 11 से 11.5 फीसद रिटर्न दे रहे हैं तो आप कैसे आशा करते हैं कि कर्ज पर ब्याज दरें कम रहेंगी।
-प्रतीप चौधरी
चेयरमैन, एसबीआइ