कश्मीर में मुफ्ती मोहम्मद सईद के कदम से BJP बेबस
जम्मू-कश्मीर की मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार के कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसरत आलम को रिहा करने के कदम से गठबंधन में उसकी सहयोगी बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। बीजेपी अब दावा कर रही है कि यह फैसला करने से पहले उसे विश्वास में नहीं लिया गया था। राज्य के मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता मुफ्ती अपनी छवि चमकाने में आलम की रिहाई का इस्तेमाल कर रहे हैं। आलम ने 2010 में कश्मीर में भारत विरोधी प्रदर्शनों का आयोजन किया था, जिनमें 112 लोग मारे गए थे।
आने वाले दिनों में बीजेपी के लिए राज्य में मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि केंद्र सरकार के सूत्रों ने बताया है कि मुफ्ती अब पिछले 22 वर्षों से श्रीनगर जेल में बंद आशिक हुसैन फकतू को रिहा करवाने की कोशिश कर रहे हैं, जो घाटी में सबसे लंबे समय तक जेल में रहने वाला कैदी है। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि राजनीतिक कैदियों की रिहाई के मुद्दे पर पीडीपी और बीजेपी के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (सीएमपी) पर बातचीत करते समय चर्चा हुई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि इसे लेकर कोई समझौता नहीं हुआ था। उन्होंने कहा, ‘इस मुद्दे पर केवल चर्चा हुई थी कि क्या राजनीतिक कैदियों की स्थिति की समीक्षा की जानी चाहिए। इस मुद्दे पर कोई सहमति न बनने की वजह से इसे सीएमपी में शामिल नहीं किया गया।’