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61 दिन चले अढ़ाई कोस : किसान सभा करती रही जीत के दावे, हाई पावर कमेटी के गठन को शासन ने किया इंकार

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 61 दिन तक चले ऐतिहासिक किसान सभा के जिस धरने को मुख्यमंत्री के आने से महज कुछ घंटों पहले शासन ने सलाह करके समाप्त करा लिया था उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात किसानों के साथ मिलकर एक हाई पावर कमेटी के गठन की थी। जानकारी के अनुसार 15 जुलाई तक इस कमेटी का गठन होना था । किंतु 5 जुलाई को प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह द्वारा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी को भेजे पत्र के अनुसार प्रशासन ने इस मांग को ठुकरा दिया है ।

समझौते के वक्त भी लगातार इस पर प्रश्न उठ रहे थे । जिले के अनुभवी वरिष्ठ पत्रकार ने तब भी प्रश्न उठाते हुए कहा था कि इस समझौते के गहरे निहितार्थ हैं समझौते पर कनिष्क अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर करना ही प्राधिकरण और किसान नेताओं की नीयत पर संशय उत्पन्न करता है

पत्र में लिखा गया है कि ग्रेटर नोएडा के अंतर्गत आने वाले किसानों की समस्याओं मांगों के संबंध में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अपने स्तर से कृषकों की समस्याओं को जनप्रतिनिधियों के साथ कार्यवाही हेतु विचार-विमर्श कर बिंदु चिन्हित करें । साथ ही जिन बिंदुओं पर शासन को कार्यवाही करनी है उन्हें शासन को संदर्भित किया जाए

फैसले से किसान नेता परेशान, बोले फिर से करेंगे आंदोलन

किसान सभा और प्राधिकरण के मध्य 24 जून को हुए समझौते के तहत औद्योगिक विकास मंत्री की अध्यक्षता में हाई पॉवर कमेटी का गठन होना था जिसमें प्रमुख सचिव औद्योगिक चेयरमैन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सीईओ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सांसद सुरेंद्र नागर सांसद महेश शर्मा विधायक तेजपाल नागर विधायक धीरेंद्र सिंह और किसान प्रतिनिधि सदस्य शामिल होने थे कमेटी को 15 जुलाई से पहले 10% आबादी प्लॉट साढे 17% कोटा शिफ्टिंग की नीति भूमिहीनों के 40 वर्ग मीटर के प्लॉट रोजगार नए कानून के तहत किसानों को लाभ आदि नीतिगत विषयों पर फैसला लेना था। इस तरह इससे पीछे हटना सरासर धोखाधड़ी और वादाखिलाफी है।

डा रूपेश वर्मा, आंदोलनकारी नेता

किसान सभा और प्राधिकरण के मध्य 24 जून के समझौते के तहत हाई पॉवर कमेटी के गठन पर उत्तर प्रदेश शासन की असहमति के बाद किसानों को जोर का झटका लगा है बीते 15 दिन से गांव गांव में अपनी जीत का जश्न मना रहे किसानों को एक बार फिर से शासन ने वही लाकर खड़ा कर दिया है जहां से उन्होंने शुरू किया था।

हमने सांसद सुरेंद्र नागर को समझौते में मध्यस्थ के तौर पर रखा है और उन्हें इस बात से अवगत करा दिया है कि प्राधिकरण लिखित समझौते से मुकर गया है अब सांसद की जिम्मेदारी है कि वह समझौते को शासन स्तर से हाई पावर कमेटी का नोटिफिकेशन कराते हुए लागू कराएं

ब्रह्मपाल सूबेदार, किसान सभा के उपाध्यक्ष

इस समझौते के रद्द होने के बाद किसान सभा द्वारा भले ही दावे किए जा रहे हैं लेकिन बड़ा प्रश्न यह भी है कि क्या फिर से एक बार बरसात के समय किसान आंदोलन के लिए बैठ सकेंगे या फिर प्रशासन ने हर बार की तरह किसानों को एक बार फिर से लॉलीपॉप पकड़ा कर मुख्यमंत्री के सामने अपनी किरकिरी होने से बचा ली ।

NCRKhabar Mobile Desk

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