रविवार देर रात उत्तर प्रदेश शासन में कुछ महत्वपूर्ण स्थानांतरण की किए जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का अतिरिक्त कार्यभार देख रही रितु माहेश्वरी को हटाकर रवि कुमार एनजी को सीईओ बना दिया गया । रितु माहेश्वरी को 30 सितंबर 2022 को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का अतिरिक्त कार्यभार देते हुए सीईओ बनाया गया था तब से लगातार यहां पर पूर्णकालिक सीईओ की मांग की जा रही थी ग्रेटर नोएडा के लोगो की शिकायत थी कि 2 दिन बैठने वाले सीईओ के साथ किस तरीके से समस्याएं हल हो सकते हैं । जिसके बाद 9 महीने 8 दिन के अपने कार्यकाल के बाद रितु माहेश्वरी को हटा दिया गया।
रितु माहेश्वरी को हटाए जाने के साथ ही यह चर्चाएं भी शुरू हुई कि आखिर इतने दिनों तक क्या प्रदेश सरकार सिर्फ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लिए पूर्ण कालिक सीईओ की तलाश कर रहा था । या फिर इन 9 महीनों में ग्रेटर नोएडा में मुख्यमंत्री को जो परिणाम अपेक्षित था वह परिणाम मिल नहीं पा रहे थे इसलिए लोगो की मांग देखते हुए आखिरकार उन्हें हटा दिया गया । आइए जानते हैं वह चर्चाएं जो उनके हटाए जाने के बाद शहर के लोगों के बीच हो रहे हैं
किसान आंदोलन पर जिद और असफलता बनी प्रमुख कारण
ग्रेटर नोएडा में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर कार्यालय के गेट नंबर 1 के आगे धरना प्रदर्शन शुरू किया जो लगभग 60 दिन तक चला जिसको मुख्यमंत्री के जिले में आगमन से महज कुछ घंटे पहले किसी तरीके से समाप्त कराया जा पाया इस पूरे आंदोलन के बढ़ने और इसको ठीक से ना हैंडल करने की नाकामी रितु माहेश्वरी की कार्यशैली और उनकी जिद पर बताई जा रही है नोएडा से लेकर लखनऊ तक यह चर्चा रही कि ऋतु महेश्वरी चाहती तो इस किसान आंदोलन को समय रहते सफलतापूर्वक समाप्त करवा सकती थी किंतु कई हफ्तों तक उन्होंने किसान नेताओं से बातचीत करना भी उचित नहीं समझा इसके बाद जब पानी सर से ऊपर निकल गया तो भी बात करने की जगह किसान आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमे लगा दिए गए ।
किसान आंदोलनकारियों ने रितु माहेश्वरी की जिद को देखते हुए सोशल मीडिया पर किसान विरोधी नोएडा सीईओ दीदी गो बैक जैसे ट्रेंड भी चलाए । इसके बाद जब किसानों के साथ समझौते पर साइन करने की बात आई तब भी रितु माहेश्वरी साइन ना करने पर अड़ गई जिसके कारण दादरी विधायक तेजपाल नागर की मध्यस्थता में हो रहे समझौते की डोर टूट गई बाद में किसानों ने मजबूरी में 7 दिन बाद फिर से सांसद सुरेंद्र नागर की मध्यस्थता में समझौता किया । जिस पर शासन द्वारा इंकार कर देने के बाद आंदोलन की तैयारी किसान शुरू कर रहे हैं
प्राधिकरण के साईट ऑफिस का अधूरा लोकार्पण
रितु माहेश्वरी के 9 महीने के कार्यकाल में ग्रेटर नोएडा में उनकी एकमात्र उपलब्धि यहां बन रहे इस प्राधिकरण के साइट ऑफिस के लोकार्पण को भी बताया जा रहा था जून में मुख्यमंत्री के आगमन पर आनन-फानन में इस कार्यालय का लोकार्पण भी मुख्यमंत्री से करा दिया गया ।किंतु लोकार्पण के 10 दिन बाद तक यह कार्यालय शुरू होने की स्थिति में नहीं आ पाया ।
इसके बाद सीईओ रितु माहेश्वरी ने शुक्रवार से इसे शुरू करने का ऑफिशल प्रेस रिलीज मीडिया को भेजा किंतु शुक्रवार को भी इस कार्यालय की स्थिति काम करने लायक नहीं थी कार्यालय में अधिकारियों को यह पता नहीं था कि उन्हें करना क्या है कार्यालय में आरो वाटर प्लांट इंस्टॉल नहीं हुआ था इसके अलावा इंटरनेट जैसी महत्वपूर्ण सर्विस वहां नहीं थी अधिकारियों के काम करने के लिए कोई लैपटॉप या कंप्यूटर वहां मौजूद नहीं थे, यहां तक कि बिना क्रॉस वेंटिलेशन वाले इस कार्यालय में बने ऑफिस के अंदर एसी तक नहीं लगाए गए थे पूरे कार्यालय में सिर्फ दो कमरों में ऐसी लगे थे और दो ही कुलरो से काम चलाया जा रहा था जिसके बाद कार्यालय उद्घाटन का शिगूफा चर्चा में बनकर रह गया ।
सीईओ पर सामाजिक संगठनों के साथ फेवरेटिज्म के लगे आरोप
ग्रेटर नोएडा में सामाजिक संगठनों की प्रशासन के साथ नजदीकी दिखाने की कोशिश और उसमें किसी एक संगठन के साथ प्राधिकरण का ज्यादा नजदीक दिखना भी रितु माहेश्वरी को कई आरोपों के घेरे में ले आया । जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सहयोग से स्थानीय बायर्स संगठन की मीटिंग कराई जानी थी । ऐसे में शहर के कुछ विशेष संगठनों को ही मुख्यमंत्री से मिलाया गया। जिसके बाद विपक्षी संगठनों ने उपेक्षा का आरोप लगाते हुए फेवरेटिज्म करने के आरोप लगाए मुख्यमंत्री की मीटिंग में इस बार उपस्थित ना रहने वाले एक संगठन के अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि इससे पहले मुख्यमंत्री जितनी भी बार नोएडा ग्रेटर नोएडा में आए उनके संगठन को आमंत्रित किया गया था किंतु इस बार ऐसा क्यों हुआ यह जानना बहुत जरूरी था।
मामला यहीं आकर नहीं रुका इसके बाद पर्थला पुल शुरू होने के बाद ग्रेटर नोएडा के किसान चौक पर लगने वाले जाम को देखने के लिए जब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की टीम यहां पहुंची तो भी वहां मौजूद संगठनों में किसी एक संगठन का नाम प्रेस विज्ञप्ति के साथ देने पर भी विवाद हुआ और रितु माहेश्वरी के फेवरेटिज्म को इन सब के लिए जिम्मेदार बताया गया
कम समय में पूर्व से अटके कार्यो का पूर्ण करने का श्रेय है रितु माहेश्वरी को
इन विवादो के बाबजूद रितु माहेश्वरी का कार्यकाल कुछ अच्छी बातों के लिए भी जाना जाएगा रितु माहेश्वरी ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कार्यभार संभालने के बाद उनके पूर्ववर्ती सीईओ द्वारा बनाई गई अनगिनत कमेटियों को भंग कर लंबित कार्यों को तेजी से पूर्ण करना शुरू किया । लीजबैक और मुआवजे जैसी शिथिल पड़ी कार्यवाहयो को तेजी से पूर्ण किया जाने लगा । इसके साथ ही अतिक्रमण पर रितु माहेश्वरी का सख्त रुख देखकर भूमाफिया परेशान होने लगे । रितु माहेश्वरी के 9 महीने के कार्यकाल के दौरान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने सौंदर्य करण कराए जाने लगे और बेहतरीन लाइटिंग व्यवस्था को शुरू किया गया।