main newsएनसीआरनजरियानेकदृष्टिविचार मंचसंपादकीय

बैरागी की नेकदृष्टि : सीईओ बदलने से ग्रेटर नोएडा और नोएडा प्राधिकरणों में दिखने लगा है फर्क

राजेश बैरागी । क्या कर्नाटक निवासी आईएएस अधिकारी ज्यादा सक्षम और कार्य उत्पादक होते हैं? ग्रेटर नोएडा और नोएडा प्राधिकरणों के नवनियुक्त दोनों मुख्य कार्यपालक अधिकारी कर्नाटक के मूल निवासी हैं और दोनों ने पदभार संभालते ही अपनी कार्यशैली से डंका बजा दिया है।

पदभार संभालने के बाद बीती 18 जुलाई को पहली प्रेसवार्ता में जब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने सबकुछ ठीक करने के लिए कुछ समय मांगा तो अपने तैंतीस वर्ष के पत्रकारिता के जीवन में मुझे एक बार फिर निराशा हुई। अमूमन हर नया आने वाला अधिकारी ऐसा कहकर ही पत्रकारों के प्रश्नों से पीछा छुड़ाता है और संस्थान फिर पुराने ढर्रे पर चल पड़ता है।

निराश होने के बावजूद यह उत्सुकता बनी रही कि कुछ दिनों में ये साहब भी क्या तीर मार लेंगे। प्रतीक्षा चल रही थी कि मंगलवार की दोपहर एक व्यक्ति ने प्राधिकरण से ही फोन कर बताया कि नये सीईओ साहब ने उसकी बात तसल्ली से सुन ली है और उसी समय सामने बैठे संबंधित अधिकारी से उसके मामले की कैफियत तलब कर ली है।वह बांसों उछल रहा था। उसे अपने मामले को लेकर प्राधिकरण आते आठ वर्ष हो चुके हैं। लेखपाल से लेकर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी तक ने उसे केवल गोल गोल घुमाया ही है। उसके बाद मैंने प्राधिकरण के अपने सूत्रों से पता किया तो उन्होंने बताया कि नये सीईओ साहब सुबह से शाम तक जितने भी पीड़ित आ रहे हैं सबकी सुन रहे हैं।न केवल सुन रहे हैं बल्कि साथ ही संबंधित अधिकारी से मामले का समाधान भी पूछ रहे हैं।

क्या पिछले पांच वर्षों में ‘काम न करने की संस्कृति’ विकसित कर चुका ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बदलेगा? इस प्रश्न को अभी कुछ समय के लिए विश्राम देकर नोएडा प्राधिकरण चलते हैं। एक सप्ताह पहले कार्यभार संभालने वाले नये सीईओ लोकेश एम ने प्राधिकरण में लोगों के कामों पर कुंडली मारे बैठे अधिकारियों कर्मचारियों की पूंछ पर पांव रख दिया है।वे भी अधिकांश समय फरियादियों से मिल रहे हैं। उसके सामने ही संबंधित बाबू, प्रबंधक को बुलाकर सच का सामना कराया जा रहा है।

गुरूवार को सुबह उद्योग विभाग में आकस्मिक निरीक्षण कर विभाग के कंप्यूटरों में महीनों से धूल खा रहे आवेदनों के बारे में जवाब तलब किया। विभागीय अधिकारियों को कोई जवाब नहीं सूझा तो उन्हें आज ही सारे आवेदन निस्तारित करने की अनिवार्यता लागू कर दी। क्या नोएडा प्राधिकरण भी बदलेगा?

यह प्रश्न भी बाद के लिए छोड़ देते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि ये दोनों अधिकारी कर्नाटक के मूल निवासी हैं। हालांकि कर्नाटक निवासी सभी अधिकारी अपने दायित्वों के प्रति इतने ईमानदार हों, ऐसा भी नहीं है। गौतमबुद्धनगर के पिछले जिलाधिकारी सुहास एल वाई कर्नाटक से ही थे। उन्होंने अपने खेल के सामने जिले को तरजीह नहीं दी।


राजेश बैरागी

राजेश बैरागी बीते ३५ वर्षो से क्षेत्रीय पत्रकारिता में अपना विशिस्थ स्थान बनाये हुए है l जन समावेश से करियर शुरू करके पंजाब केसरी और हिंदुस्तान तक सेवाए देने के बाद नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा के संपादक और सञ्चालन कर्ता है l वर्तमान में एनसीआर खबर के साथ सलाहकार संपादक के तोर पर जुड़े है l सामायिक विषयों पर उनकी तीखी मगर सधी हुई बेबाक प्रतिक्रिया के लिए आप एनसीआर खबर से जुड़े रहे l हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

Related Articles

Back to top button