main news

12 जून 1975 : तमाम दबाब के बाद भी जगमोहन लाल सिन्हा ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी के चुनाव को किया था अवैध घोषित

12 जून वो तारीख है, जिसने भारतीय राजनीति की दिशा ही काफी हद तक बदल दीl एक बड़ी ख़बर सामने आने वाली थी और शेषन बेचैनी से उसका इंतज़ार कर रहे थे। यह वही दिन था, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा एक याचिका पर अपना फैसला सुनाने वाले थे।1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति श्री जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उन्हें चुनावों में धांधली का दोषी पाया और उनका चुनाव रद्द कर दियाl

12 जून, 1975 को जब फैसला होने वाला था तब सुबह 10 बजे से पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट का कोर्टरूम नंबर 24 खचाखच भर चुका था. जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा पर पूरे देश की नज़रें थीं, क्योंकि वो राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी के मामले में फ़ैसला सुनाने जा रहे थे l कमरा नंबर 24 में वह जैसे ही अपनी कुर्सी पर बैठे, अच्छे कपड़ों में तैयार होकर आए पेशकार ने खचाखच भरे कोर्ट रूम में ऊंची आवाज़ में कहा, ‘महानुभावों, ध्यान से सुनिए, जज साहब जब राज नारायण की चुनाव याचिका पर फैसला सुनाएंगे, तब कोई ताली नहीं बजनी चाहिए।’  देश की प्रधानमंत्री अदालत में पेश होती है. और जज साहब आदेश देते हैं, PM की सिक्योरिटी का आना मना है. लिहाज़ा कोर्ट परिसर में मौजूद सारे वकील एक सुरक्षा घेरा बनाकर PM को कोर्ट रूम तक लाते हैं. बाहर जिस शख़्स की एक नज़र पर लाखों लोग खड़े हो जाते, अदालत के अंदर उनमें से एक भी अपनी सीट से नहीं उठा. कारण – जज साहब का एक और आदेश- ये मेरा कोर्ट है और यहां सिर्फ़ जज के लिए सीट छोड़ी जाती है. एक आख़िरी आदेश और था. पीएम को कुर्सी मिलेगी, जो वकील की कुर्सियों से कुछ ऊंची होगी लेकिन इतनी नहीं कि जज से ऊंची हो जाए. (Indira Gandhi v. Raj Narain case 1975)

इस फैसले से पहले कई तरह से जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा को ‘मनाने’ की कोशिश की गई. इन बातों का जिक्र कुलदीप नैयर की किताब ‘ इमरजेंसी की इनसाइड स्टोरी’ में है. कुलदीप नैयर अपनी किताब में लिखते हैं-

”श्रीमती इंदिरा गांधी के गृह राज्य उत्तर प्रदेश से एक सांसद इलाहाबाद गए. उन्होंने अनायास ही सिन्हा से पूछ लिया था कि क्या वे पांच लाख रुपये में मान जाएंगे. सिन्हा ने कोई जवाब नहीं दिया. बाद में उस बेंच में उनके एक साथी ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि ‘इस फैसले के बाद’ सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया जाएगा.”

जगमोहन लाल सिन्हा को ‘मनाने’ की कोशिश यहीं नहीं रुकी

‘गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव प्रेम प्रकाश नैयर ने देहरादून में उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से मुलाकात की थी और उनसे कहा था कि संभव हो तो इस फैसले को टाल दें. चीफ जस्टिस ने अनुरोध को सिन्हा तक पहुंचा दिया.सिन्हा इस बात से इतने नाराज हुए कि उन्होंने कोर्ट के रजिस्ट्रार को फोन घुमाया और कहा कि वो घोषित कर दे कि फैसला 12 जून को सुनाया जाएगा.’

एन सी आर खबर ब्यूरो

हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I अपना सूक्ष्म सहयोग आप हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : 9654531723@paytm के जरिये दे सकते है एनसीआर खबर.कॉम दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित और नं.1 हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें mynews.ncrkhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं या 09654531723 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं

Related Articles

Back to top button