किस्से सच्चे झूठे : मुख्यमंत्री की नोएडा जनसभा में फैली अव्यवस्था और लोगों की चर्चा, लखनऊ नोएडा से खुश नहीं या नोएडा लखनऊ की सुनता नहीं

रविवार का पूरा दिन किसी आम नोएडा वासी की तरह मेरा भी बहुत व्यस्त रहा सुबह 8:00 बजे से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आगमन की तैयारियों में लग गए थे । भारी बारिश के बावजूद लोगों में मुख्यमंत्री की जनसभा के लिए उत्साह था । नोएडा स्टेडियम के चारों ओर बने सेक्टर 5,6,8,9,11,12, 22, 55, 56, 21,24,25 से तमाम लोग मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में पहुंचना चाहते थे और भीड़ बढ़ती जा रही थी ऐसे में बारिश ने स्टेडियम में जब जलभराव हो गया तो भाजपा के कई कार्यकर्ता पंडाल से बाहर निकल आए। इस पूरे कार्यक्रम को लेकर तमाम प्रश्न उठ रहे हैं जिन पर कल के अनुभव से आज उनकी विवेचना जरूरी है ।

प्राधिकरण के अधिकारियों का गलत अनुमान और अपूर्ण व्यवस्था
मुख्यमंत्री मंत्री की जनसभा के लिए बनाए जा रहे कार्यक्रमों की रूपरेखा के लिए बड़ी गलती प्राधिकरण अधिकारियों खासतौर पर इस रितु महेश्वरी के आकलन में हुई । मुख्यमंत्री की जनसभा का आयोजन के लिए पहले नोएडा स्टेडियम की बातें चर्चा शुरू हुई फिर कपितय कारणों से इसको रामलीला मैदान के खाली ग्राउंड में किए जाने का प्रस्ताव दिया गया और कहा गया कि इसमें 5000 लोगों के बैठने की व्यवस्था का एक पंडाल लगा दिया जाए जिससे मुख्यमंत्री की सभा में लोगों की संख्या कम ना दिखे ।
नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु माहेश्वरी को भाजपा संगठन पर भीड़ ना लेकर आने को लेकर विश्वास इतना पुष्ट था कि उन्होंने स्थानीय भाजपा संगठन से इतर आशा कार्यकर्ताओं स्कूली बच्चों तक को पंडाल में बैठाने की व्यवस्था कर दी जिससे मुख्यमंत्री के सामने नोएडा प्राधिकरण की साख कम ना हो

पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री की जनसभा कहीं वही अगर होती है तो उसमें 50000 की भीड़ का आकलन किया जाता है इस बात को तैयारियों में लगे मंत्री कुंवर बृजेश सिंह स्वयं 2 दिन पहले भाजपा की बैठकों में कह कर गए और उन्होंने चिंता जताई की नोएडा से लखनऊ खुश नहीं है । ऐसे में अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए कम क्षमता का आयोजन किया जिसका परिणाम यह रहा कि उसमें आसपास के लोगों को भी प्रवेश करने में परेशानी होती रही इसके साथ ही स्टेडियम को सामान्य लोगों के लिए पहुंचने का रास्ता इतना दूभर कर दिया गया । कि कोई पहुंच ना सके।
नोएडा में चर्चा है कि रितु माहेश्वरी को प्राधिकरण में 3 साल से ज्यादा का समय हो चुका है ऐसे में वह यह मानकर चल रही हैं कि 30 जून से पहले आने वाली स्थानांतरण लिस्ट में उनका भी नाम हो सकता है । इसके साथ ही 2 प्राधिकरण का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रही रितु माहेश्वरी फिलहाल व्यवस्था को संभालने में नाकाम दिख रही हैं
प्रातः काल बारिश होने के बाद व्यवस्था बिगड़ने के डर से लोगों की गाड़ियों की पार्किंग को 1 से 2 किलोमीटर दूर तक रोक दिया गया जिसके कारण लोग पैदल चलकर वहां तक पहुंचे हालांकि भाजपा द्वारा लाई गई गाड़ियों पर रोक-टोक नहीं थी ऐसे में लोगों का प्रश्न यह था कि नोएडा प्राधिकरण क्या सिर्फ वीआईपी लोगों को सुविधाएं देने के लिए बना है जिसकी सीईओ सिर्फ खास लोगों के लिए काम कर रहे हैं ।
रितु माहेश्वरी के कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कई ऐसे परियोजनाएं हैं जो पूरी हो जानी चाहिए थी किंतु वह नहीं हो सकी हैं इसमें चिल्ला रेगुलेटर से महामाया फ्लाईओवर तक एलिवेटेड रोड का कार्य दिसंबर 2021 में पूरा होना था मगर इस पर मात्र 13% काम हुआ है, वही डीएससी रोड पर आग आप और पेट्रोल पंप से ऐसी जेड तक भी एलिवेटेड रोड का कार्य 2020 में शुरू किया गया था इसको 2 दिसंबर 2022 में पूरा किया जाना था यह परियोजना अभी अधूरी है साथ ही नोएडा के सेक्टर में गंगाजल लाने की योजना का काम भी अभी तक पूरा नहीं हुआ
सांसद डा महेश शर्मा का कार्यक्रम तैयारियों से अनुपस्थित रहना भी बड़ा कारण
मुख्यमंत्री की जनसभा हो और क्षेत्र का लोकसभा सांसद कार्यक्रम से महज 8 घंटे पहले शहर में पहुंचे तो इस बात की चर्चा भी होना आवश्यक है । जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का चार्ट तय होने के बाद प्राधिकरण के अधिकारी लगातार भाजपा संगठन से उनकी तैयारियों को पूछते रहे । स्थानीय सांसद शहर से बाहर थे और संगठन यह बताने में नाकाम था कि आखिर वह कितने लोगों को मुख्यमंत्री की जनसभा में ले आएगा ।
ऐसे में मंत्री कुंवर ब्रजेश सिंह के आने पर आखिर में यह तय हुआ कि संगठन द्वारा नोएडा में 80, ग्रेटर नोएडा दादरी क्षेत्र में 80 और जेवर में 60 बसों से भरकर लोगों को लाया जाएगा । इन बसों में 50 यात्रियों प्रति वर्ष के हिसाब से लगभग 10000 लोगों की भीड़ का दावा प्रशासन को दिया गया । किंतु प्रशासन पूर्व में भाजपा के बड़े नेताओं के कार्यक्रमों में हुई भीड़ के आधार पर रिस्क लेने के मूड में नहीं था ऐसे में उन्होंने 100000 की क्षमता वाले रामलीला मैदान में मात्र 5000 के बैठने की व्यवस्था वाले पंडाल का अनुमोदन किया हालांकि इस पंडाल के अनुमोदन और इस पर आए सवा करोड़ रुपए खर्च को जस्टिफाई करने में अभी भी प्राधिकरण से प्रश्न पूछे जा रहे हैं
भाजपा संगठन के कई कार्यकर्ताओं ने बताया कि नोएडा संगठन ने आनन-फानन में बसे तो तय कर दी और यह भी तय कर दिया कि किसके पास कितनी बसें होंगी किंतु सुबह 8:30 बजे संबंधित कार्यकर्ताओं को बताया गया कि वह कहां खड़े होंगे जिसके कारण इन बसों से आने वाले लोग इंतजार करते रह गए या फिर कुछ लोगों ने बारिश का बहाना बनाकर आयोजन में जाना उचित नहीं समझा
ऐसे में अपने क्षेत्र में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों से लोकसभा सांसद डॉ महेश शर्मा के दूर रहने के पीछे शहर की राजनीति में कई चर्चाएं हो रही है माना जा रहा है कि पूर्व में भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्य की जनसभा में भीड़ ना होने को लेकर भी डॉक्टर महेश शर्मा से प्रश्न उठे हैं डॉ महेश शर्मा से लगातार इन बातों को कहा जा रहा है कि आखिर उनकी अपनी टीम संगठन के कार्यों से दूर क्यों रह रही है रविवार को भी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में सांसद के सभी वह लोग जो उनके प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं इस कार्यक्रम से दूर थे
नोएडा के राजनीतिक पटलों पर चर्चा है कि नोएडा के वर्तमान सांसद साल भर बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में अपने टिकट को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं ऐसे में वह लगातार पार्टी कार्यक्रमों में अपने कार्यकर्ताओं को रोक रहे हैं और यह संदेश दे रहे हैं अगर शहर में डॉक्टर महेश शर्मा नहीं है तो भाजपा भी नहीं है
लखनऊ नोएडा से क्यों नही है खुश ?
ऐसे में आयोजन को लेकर सांसद डॉ महेश शर्मा का बेमन से उपस्थित रहना, प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा आयोजन को ठीक से ना करना कार्यक्रम से 2 दिन पहले आए मंत्री कुंवर बृजेश सिंह की उस बात को सही साबित करता है कि लखनऊ नोएडा से बहुत खुश नहीं है ।
डॉ महेश शर्मा को लेकर चर्चाएं इसलिए भी हो रहे हैं कि वरिष्ठ पत्रकार राजेश बैरागी ने अपने लेख में लिखा कि मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान डॉ महेश शर्मा लगातार मंच पर दादरी विधायक तेजपाल नागर से बातों में मशगूल दिखे ।

ऐसे में प्रश्न यह है कि क्या वाकई लखनऊ नोएडा से खुश नहीं है । लखनऊ अब नोएडा में संगठन और जनप्रतिनिधियों की के साथ-साथ प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों की नकेल कसने के लिए कुछ करने जा रहा है या फिर नोएडा एक बार फिर से इतना शक्तिशाली हो चुका है कि वह अब लखनऊ की सुनना बंद कर दिया है ।