नोएडा प्राधिकरण को कभी इस देश की सबसे अमीर अथॉरिटी कहा जाता था l किसी जमाने में प्राधिकरण के कोष में 10 से 15000 करोड़ की एफडी हुआ करती थी । वह प्राधिकरण कंगाल हो गया है प्राधिकरण के पास आज सिर्फ 1000 करोड़ की एफडी बची है । ऐसे में ऋतु माहेश्वरी के 3 साल के कार्यकाल के बाद प्रश्न उठ रहे हैं कि 3 साल में ऋतु माहेश्वरी क्या सिर्फ दीवारों और फ्लाईओवर पर पेंटिंग्स और स्वच्छता का कार्य ही करती रही l सीईओ के तौर पर आखिर वह क्यों ऐसी योजनाएं बनाने में विफल रही जिससे प्राधिकरण का राजस्व बढ़ता प्राधिकरण के प्रोजेक्ट पूरे होते । यदि ऋतु माहेश्वरी नोएडा में सही काम कर रही हैं तो फिर समस्या के लिए जिम्मेदार कौन है ?
ऋतु माहेश्वरी का 3 साल का कार्यकाल
3 साल पहले जुलाई 2019 में जब रितु माहेश्वरी को नोएडा प्राधिकरण की सीईओ का पदभार दिया गया तो उन्होंने एक्शन दिखाते हुए मीडिया को बताया था की प्राधिकरण की बिल्डिंग की दशा अच्छी नहीं है फायर सेफ्टी और इलेक्ट्रिकल सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश भी दिए थे लेकिन बीते 3 सालो में रितु माहेश्वरी शहर में पेंटिंग और स्वच्छता को ही अपनी प्राथमिकता बनाने में लगी रही है ।
स्थिति इतनी भयावह यह है कि कभी 10 से 15000 करोड़ की एफडी रखने वाला प्राधिकरण आज कंगाल हो गया है । 3 साल पहले प्राधिकरण के जिस कार्यालय की दशा को रितु माहेश्वरी अच्छा नहीं बता रही थी वो आज भी वैसा ही है । नया कार्यालय आज तक अधूरा पड़ा है । शहर के विकास कार्यों की ओर देखें तो नोएडा में बनाई गई मल्टी लेवल पार्किंग पूरी तरह असफल प्रोजेक्ट साबित हुआ है । पृथला पर बनाया जा रहा फ्लाईओवर आज तक पूरा नहीं हुआ है हर बार उसकी समाप्ति की डेट बढ़ानी पड़ती है । एक्सप्रेस वे पर चल रही सरफेसिंग की तारीख कितनी बार बड़ी कि उसके लिए गिनती करना मुश्किल हो गया ।
भंगेल तक बनने वाले फ्लाइओवर का काम कब तक पूरा होगा इसकी भी अभी तक कोई सूचना नहीं है । जिस नोएडा में कभी यह मिसाल दी जाती थी कि नोएडा में सड़क टूटती बाद में है बनना पहले से हो जाती है आज वहां सड़कों पर गड्ढे हैं । और यू टर्न पर एक करोड़ खर्च करने जैसे विवादों में ऋतु माहेश्वरी फंसी हुई है । हालांकि बाद में उसमे 4 यू टर्न होने की सफाई दी गई है ।
ऋतु माहेश्वरी के कार्यकाल में नोएडा प्राधिकरण के सोशल वेलफेयर और सामाजिक कार्यों की स्थिति पर भी सवाल उठे हैं आज प्राधिकरण प्लाटों के आवंटन से लेकर कियोस्क आवंटन तक e-auction से दे रहा है । जिस प्राधिकरण का मूल मंत्र कभी इंडस्ट्री लगाना रहा हो वह आज एक प्रापर्टी डीलर की तरह काम कर रहा है जो किसी भी तरीके से बचे हुए प्लॉट्स को ज्यादा से ज्यादा कीमत पर बेचता है मगर उसके बावजूद भी प्राधिकरण की स्थिति खराब दिखाई दे रही है जिसके बाद प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश सरकार से 15000 करोड़ की मांग की है ।
नोएडा में इस स्थिति के लिए ऋतु माहेश्वरी कितना काम कर रही है और कितना कर सकती हैं उसमें एक और परेशानी यह भी है कि ऋतु माहेश्वरी को नोएडा के अलावा एनएमआरसी और फिर नया नोएडा का भी कार्य दे दिया गया सरकार उनके ऊपर जिम्मेदारियों को देते हुए यही नहीं रुके बल्कि बरसों से घाटे में चल रहे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को भी उन्हीं को सौंप दिया आज स्थिति यह है ऋतु महेश्वरी नोएडा में 2 दिन और 2 दिन ग्रेटर नोएडा में बैठती है ऐसे में 3 साल के बाद रितु माहेश्वरी को लेकर उठ रहे प्रश्न अब सरकार के भी ऊपर हैं कि आखिर एक ऐसे सक्षम अधिकारी को जिसने कभी बुलंदियों को छुआ हो उसे 2 प्राधिकरण के सीईओ बना कर सरकार को क्या लाभ हुआ ?
ऋतु माहेश्वरी ने फिलहाल सरकार से 15000 करोड मांगे हैं ऐसे में सरकार कितना पैसा देगी फिलहाल इसका तो पता नहीं है लेकिन 3 साल बाद एक सक्षम सफल अधिकारी के नोएडा में विकास न कर पाने का प्रश्न बना रहेगा