गौतम बुध नगर में निजी स्कूलों में पढ़ाने की मजबूरी अब अभिभावकों पर कितनी भारी पड़ रही है उसको लेकर जिले में तमाम अभिभावक संघ लगातार अपनी मांग उठा रहे हैं निजी स्कूलों के अंदर निजी स्कूलों द्वारा कोर्स की किताबों और ड्रेस को बेचने जैसी समस्याओं पर लगातार सवाल उठ रहे हैं अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल एनसीईआरटी की जगह अपने प्रकाशकों से किताबें महंगे दाम पर छपवा कर पैसे की कमाई कर रहे हैं हालात यह हैं कि सरकारी स्कूलों में जो कोर्स ₹1000 के अंदर आ जाता है उसकी कीमत निजी स्कूलों में लगभग 7 से 10000 तक है
जिले के कई अभिभावकों ने सोशल मीडिया पर स्कूलों द्वारा अभिभावकों के किए जा रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाई लेकिन प्रशासन इन सब मामलों पर आंख मूंद कर बैठे है जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि अगर इस तरीके की कोई गतिविधि आप के स्कूलों में चल रही है तो उसकी लिखित शिकायत हमको दें लेकिन वह किसी भी निजी स्कूल में जाकर छापा मारने की बात नहीं करते हैं ऐसे में प्रशासन और निजी स्कूलों के बीच बने सिंडिकेट के बीच अभिभावक इस रहे हैं और बच्चों कि बेहतर शिक्षा के नाम पर लूट जा रहे हैं । लोगों का कहना है कि यही हाल रहा तो बच्चों के लिए नाई और धोबी तक निजी स्कूल तय करेंगे और सरकारें आंख बंद कर बैठे रहेंगे ।
हर साल नई किताबे छापना पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक
जिले में भारत जागरूक नागरिक संगठन के अध्यक्ष शैलेंदर बर्नवाल ने एनसीआर खबर को बताया कि हर साल नई किताबें खरीदना ना सिर्फ अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ता है बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक है क्योंकि इस तरीके से हम लगातार कागज की डिमांड को बढ़ा रहे हैं जिसके लिए लगातार पेड़ों की कटाई होती है और लोगों को जहां एक और अर्थ हानि होती है वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य की भी हानि होती है मगर इन सब बातों को लेकर देश की सरकारें सोई भी हैं इस बात को लेकर ना तो एनजीटी कोई अध्यादेश जारी करती है ना ही देश की शिक्षा नीति में कोई निर्णय लिया जाता है प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी ने इस मामले पर बताया कि सरकारों ने भले ही यह कह दिया है कि एनसीईआरटी की किताबें निजी स्कूलों में भी पढ़ाई जाएंगी मगर एनसीईआरटी अभी तक सब की डिमांड पूरा करने में सक्षम नहीं है इससे निजी स्कूलों को अपनी किताबें छापने और उनसे पैसे कमाने का मौका मिल जाता है वही राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि देश में अब निजी स्कूलों को लेकर नई पॉलिसी लाने की जरूरत है जिसमें निजी स्कूलों को दिए गए सभी लाभ 20 साल तक के लिए सीमित कर दिए जाएं और 20 साल के बाद सभी निजी स्कूलों को सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सरकारी स्कूलों में सम्मिलित करें इससे ना सिर्फ प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी बल्कि देश में एक सुदृढ़ शैक्षिक ढांचा भी तैयार होगा ।
सभी निजी स्कूल अब फ्रेंचाइजी, ऐसे में लोगो को शिक्षा की जगह कमाई मूल मंत्र
नोएडा में सभी बड़े निजी स्कूल आजकल फ्रेंचाइजी सिस्टम पर चल रहे हैं गौतम बुध नगर के सभी बड़े स्कूलों की फ्रेंचाइजी आजकल ली जा रही है यहां तक कि मिशन ट्री के स्कूलों की भी फ्रेंचाइजी दी जा रही है ऐसे में फ्रेंचाइजी लेने वाला व्यक्ति का मुख्य उद्देश्य शिक्षा ना होकर कमाई करना भर रह गया है एनसीआर खबर ने जब नोएडा ग्रेटर नोएडा के स्कूलों की जांच की तो कई ऐसे स्कूलों ने 2023 24:00 के लिए एडमिशन ओपन कर दिए हैं जिनकी अभी तक बिल्डिंग बनी नहीं है या फिर बिल्डिंग बन रही है ग्रेटर नोएडा वेस्ट के नॉलेज पार्क 5 में एक मिशनरी स्कूल के बिल्डिंग अभी निर्माणाधीन है लेकिन उसके लिए 2023 -24 के लिए एडमिशन चालू है वही नॉलेज पार्क में ही बन रहे रामाज्ञा स्कूल में अभी तक बिल्डिंग बन्ना शुरू ही हुआ है और वहां भी 2023- 24 के लिए एडमिशन लिए जा रहे हैं एनसीआर खबर के पता करने पर यह बताया गया कि उनको यहां एडमिशन लेकर सेक्टर 50 में पढ़ाया जाएगा ।
जिला प्रशासन स्कूलों की मनमानी पर क्यों मौन है इसका प्रश्न किसी के पास नहीं है गौतम बुध नगर के एक बड़े भाजपा नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि स्वयं योगी आदित्यनाथ सरकार ने करोना काल में ली गई ज्यादा फीस को रिटर्न करने के नोटिफिकेशन को जारी किया है मगर उसके बावजूद किसी भी स्कूल ने अभी तक पुरानी फीस को नए फैशन में समायोजित करने की योजना पर काम नहीं शुरू किया है पिछले साल के ई आर पी के एक्सेस पेरेंट्स के साथ खत्म कर दिए गए हैं जिससे उनके पास फीस के आंकड़े गायब हैं और स्कूल इस मामले पर कोई बात नहीं कर रहे हैं
एनसीआर खबर आने वाले दिनों में जिले में स्कूलों के दबाव को लेकर पूरी सीरीज करने जा रहा है जो भी अभिभावक और पेरेंट्स एसोसिएशन अपने इनपुट हमें इसमें देना चाहते हैं वह हमें व्हाट्सएप या ई मेल पर दे सकते हैं ।