दादरी नगर पालिका चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता जा रहा है । विपक्ष विहीन गौतम बुध नगर में भाजपा के ही वरिष्ठ कार्यकर्ता जग् भूषण गर्ग के विद्रोह ने भाजपा संगठन में उहापोह की स्थिति बना दी है । इस विद्रोह के बाद भाजपा के लिए तीसरी बार प्रत्याशी बनी गीता पंडित की जीत अब प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है तो इस सीट पर जीत और हार के साथ ही भाजपा के कई नेताओं के भविष्य भी दांव पर लगे हैं गौतम बुध नगर में दादरी सीट को सांसद डॉ महेश शर्मा के लिए 2024 का क्वालिंफाइंग टेस्ट मान लिया गया है अगर डॉक्टर महेश शर्मा अपने बलबूते इस सीट पर जीत हासिल करवाते हैं तो उनके लिए 2024 में टिकट की राह आसान होगी वहीं अगर पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को इस जीत के लिए आना पड़ता है तो 2024 कारण अलग तरीके से सजेगा ।
दादरी विधायक तेजपाल नागर नमाज माफ कराने गए थे रोजे गले पड़ गए
दादरी के निकाय चुनाव में जहां सांसद डॉ महेश शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है वही स्थानीय विधायक तेजपाल नागर की भी समस्याएं भी कम नहीं है पहले ही तेजपाल नागर अपने वार्ड से किसी भाजपा प्रत्याशी को ना उतारने के कारण फजीहत झेल रहे हैं । अब उनको विद्रोही प्रत्याशी जग भूषण गर्ग को मनाने का जिम्मा सौंपा गया जिसके बाद तेजपाल नागर शुक्रवार को दिन के समय जग भूषण से मिलने उनके पास पहुंचे जहां कार्यकर्ताओं के बीच तेजपाल नागर उनसे वापस लौटने को तो ना कह पाए लेकिन कार्यकर्ताओं ने विधायक से ही जग भूषण के लिए वोट मांग लिए, इसके बाद मजबूरी में तेजपाल नागर को कहना पड़ा कि चुनाव लड़ना आपका अधिकार है । संगठन के अंदर चर्चा है कि तेजपाल नागर नमाज माफ कराने गए थे लेकिन फिलहाल रोजे गले पड़ गए है । फिलहाल विधायक तेजपाल नागर अपने क्षेत्र में मन की बात के भव्य कार्यक्रम के आयोजन पर लग चुके हैं उसमें कितना सफल हो पाएंगे इसकी चर्चा रविवार को सुनाई देगी ।
भाजपा के प्रचार पोस्टर से सुरेंद्र नागर का फोटो ना होने से गुर्जर समाज ने उठाए प्रश्न
निकाय चुनाव में दादरी नगर पालिका में भाजपा की स्थिति कमजोर होने के समाचारों के बावजूद शहर के दो नेताओं के बीच बना गतिरोध और प्रतिरोध नगर पालिका प्रत्याशी के कार्यालय पर भी दिखाई दे रहा है सोशल मीडिया पर गुर्जर समुदाय के लोगों ने सवाल उठाते हुए पूछा है कि भाजपा कार्यालय में लगे बैकड्राप पर जिले के सभी जनप्रतिनिधियों के फोटोग्राफ हैं लेकिन जिले में गुर्जरों के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर का फोटो गायब है । ऐसे में पहले से ही ब्राह्मण और वैश्य समाज के वोटों का नुकसान उठा रही है भाजपा क्या गुर्जर समाज के वोटो से भी हाथ धो बैठेगी यह वक्त बताएगा ।
पार्षद के लिए भाजपा के कई प्रत्याशियों ने बढ़ाई गीता पंडित की मुश्किल
समस्या तो दो बार की अध्यक्ष रही गीता पंडित के सामने भी कम नहीं आ रही हैं । पार्टी में जग भूषण गर्ग के विद्रोह के कारण कमजोर स्थिति में गीता पंडित जनता के बीच में प्रचार के लिए जा तो रही है लेकिन भाजपा के ही कई कार्यकर्ताओं के पार्षद के निर्दलीय रूप में खड़े होने से वह ना भाजपा के वार्ड प्रत्याशियों के लिए खुलकर वोट मांग पा रही है ना ही निर्दलीय बने भाजपाइयों के सामने कुछ कह पा रही है । ऐसे में उनके साथ घूम रहे कई पार्षदों ने अघोषित तौर पर इस बात को संगठन में कहना शुरू कर दिया है ।पार्टी को जल्द ही अध्यक्ष के साथ पार्षद के मामलों पर भी ध्यान देना शुरू करना पड़ेगा ।
दादरी नगर पालिका चुनाव में भाजपा के शहरी संगठन का उतरना कितना लाभदायक
शहर में जिले के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता फिलहाल अलग अलग बहाने से प्रचार से दूर है । वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष के पुन: टिकट मिलने के बाद विद्रोह और स्थानीय कार्यक्रता की उदासीनता ने भाजपा संगठन को मजबूर कर दिया है कि वो दादरी नगर पालिका से संबंधित ना होने पर भी शहरी कार्यकर्ता को आयात कर प्रचार में उतारे । ऐसे में ग्रेटर नोएडा के शहरी महिला कार्यकर्ता फिलहाल दादरी में डेरा जमाए हुए है और भाजपा प्रत्याशी गीता पंडित के लिए घर घर जा कर वोट मांग रही है । दादरी नगर पालिका के लिए शहरी महिलाए वोट तो मांग सकती है। लेकिन लोगो को प्रेरित कर पाएंगी इसको लेकर पक्ष विपक्ष में तमाम चर्चा शुरू हो गई ।
10 दिन में शांत दिखेगा बासी कढ़ी में आया उबाल, संगठन के बड़े नेता का दावा
वहीं मन की बात के लिए हर विधान सभा में 100 मीटिंग मे लगे भाजपा संगठन के ही वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने पर बताया कि पिछली बार वैश्य समाज के खड़े हुए प्रत्याशी को 1600 वोट मिले थे ऐसे में वरिष्ठ कार्यकर्ता जग भूषण भी इस बार चुनाव में उतर कर अपनी फजीहत ही करवाने जा रहे हैं उनको 1200 भी मिल पाए तो बहुत बड़ी बात होगी । अगले 10 दिनों में बासी कढ़ी में आया उबाल शांत हो जाएगा और गर्ग अकेले रह जाएंगे । जग भूषण गर्ग समय से पार्टी में वापस आ गए तो उनकी जीत होगी नहीं तो उनकी वर्षों की तपस्या हार के बाद मिट्टी में मिल जाएगी ।