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नोएडा के विवादित महाप्रबंधक पी के कौशिक की यमुना प्राधिकरण में वापसी, क्या सरकार में नंद गोपाल नंदी का प्रभाव हुआ कम?

क्या उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी गुप्ता का सरकार में प्रभाव कम हो रहा है, ऐसे प्रश्न नोएडा प्राधिकरण से के महाप्रबंधक पीके कौशिक का स्थानांतरण नोएडा से कानपुर में करवाने वाले नंदी के रहते हुए अब उनको वापस यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी में बतौर महाप्रबंधक भेजने पर उठ रहे हैं

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास विभाग की कार्यशैली पर लगातार प्रश्न चिन्ह पहले भी उठते रहे हैं हालात ऐसे हैं कि स्थानांतरण के बावजूद अफसर अपने कार्य स्थल से जाते नहीं है अपनी मनमानी के जरिए मनचाहे प्राधिकरण में बैठे रहते हैं लोगों के यह भी आरोप है कि प्राधिकरण में स्थानांतरण के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है यह सवाल यह प्रश्न इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पीके कौशिक की कार्यशैली उनकी शैक्षिक योग्यता और अन्य गतिविधियों पर स्वयं विभाग के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने प्रश्न उठाते हुए जांच के आदेश दिए थे जिसके बाद उनको यहां से कानपुर भेजा गया लेकिन अब वापस गौतम बुध नगर जिले के यमुना प्राधिकरण में भेजने से यह माना जा रहा है उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी का प्रभुत्व सरकार में कम हो रहा है

औद्योगिक विकास मंत्री की कार्यशैली पर भी उठते रहे हैं प्रश्न

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री की कार्यशैली पर लगातार प्रश्न उठ रहे हैं खासतौर पर गौतम बुध नगर के तीनों प्राधिकरण में अफसरों के साथ समन्वय और बेहतर कार्य की जगह विवाद और टकराव को लेकर लगातार नंदी पर प्रश्न उठते रहे हैं आपको बता दें कि वर्तमान में गौतम बुध नगर जिले की दो प्राधिकरण के लिए मात्र एक सीईओ से काम चल रहा है दोनों ही प्राधिकरण में अधिकारियों की कमी नियुक्ति पर प्रश्न उठते रहे हैं । ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अल्पकालिक सीईओ की नियुक्ति को लेकर भी नंद गोपाल गुप्ता नंदी पर प्रश्न उठे हैं लोगों ने स्पष्ट पूछा था कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी है जो पहले से ही दो अन्य विभागों का कार्यभार संभाल रही नोएडा की सीईओ ऋतु महेश्वरी को ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण का सीईओ का भी अतिरिक्त भार दिया गया क्या नंद गोपाल नंदी वर्तमान अफसरों में कोई योग्य अवसर नहीं खोज पा रहे हैं या फिर अफसरों के साथ उनकी ट्यूनिंग में कोई गड़बड़ी है क्योंकि जिस ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में सबसे ज्यादा इन्वेस्टमेंट आया उसी प्राधिकरण में अगर अल्पकालिक सीईओ मौजूद रहे तो वहां की कार्य क्षमता पर सवाल उठने जरूरी हैं

पूर्व में जिले के एक वरिष्ठ पत्रकार ग्रेटर नोएडा के पास पूर्णकालिक सीईओ ना होने को लेकर और योग्य अधिकारी ना मिलने पर हाल में ही किसी रिटायर एसीईओ या सीईओ को ही एक्सटेंशन देने की बात उठा चुके हैं । पत्रकार ने अपने कथ्य के समर्थन में यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह को तीन बार एक्सटेंशन देने की बात भी कही है ।

ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भी कई और अधिकारियों और पूर्व सीईओ की वापसी हो सकती है या फिर जल्द ही नंद गोपाल गुप्ता नंदी का मंत्री पद भी बदला जा सकता है ।

NCRKhabar Mobile Desk

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