सुप्रीम कोर्ट से राहत ना मिलने के बाद बदले घटनाक्रम में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपना इस्तीफा त्यागपत्र दे दिया है साथ ही सत्येंद्र जैन ने भी अपने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया है उनके त्यागपत्र के को केजरीवाल ने स्वीकार कर लिया है
एनसीआर खबर ने आज सुबह ही अपनी रिपोर्ट में बताया था कि आम आदमी पार्टी बदले घटनाक्रम में दोनों की जगह नए लोगों पर विचार कर रही है और सुप्रीम कोर्ट से राहत ना मिलने के बाद उम्मीद के अनुसार दोनों का त्यागपत्र हो गया
मनीष सिसोदिया के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री ने 33 विभागों में से 18 विभाग सौंपे हुए थे। इन विभागों में शिक्षा के अलावा वित्त और गृह मंत्रालय भी शामिल है। पिछले साल दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन के जेल पहुंचने के बाद उनके विभाग भी मनीष सिसोदिया को ही सौंप दिए गए थे।
कौन बनेगा नया उपमुख्यमंत्री ?
आम आदमी पार्टी में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के त्यागपत्र के साथ ही इस बात पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर अब दिल्ली का उपमुख्यमंत्री कौन होगा सूत्रों के अनुसार गोपाल राय और आतिशी दोनों ही इस रेस में सबसे आगे हैं हालांकि सौरभ भारद्वाज को लेकर भी लगातार यह सूचनाएं आ रही हैं कि वह भी उपमुख्यमंत्री हो सकते हैं
जनता घोटाले के मास्टर माइंड अरविंद केजरीवाल के विरूद्ध जांच चाहती है – कपूर
दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार अपनी नई शराब नीति तो 2021-22 वर्ष में लाई,पर असल में 2015 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने के तुरंत बाद से इस सरकार ने शराब की खपत बढ़ाने के लिए काम शुरू कर दिया था।2015 से 2020 के बीच केजरीवाल-सिसोदिया की सरकार ने दिल्ली में “मधुशालाएं” नामक सस्ते केवल शराब पीने के रेस्टोरेंट खुलवाने शुरू कर दिये थें।इसके आलावा केजरीवाल सरकार ने 2015 से 2020 के बीच अकेले कनॉट प्लेस में 150 छोटे बड़े “पब” खुलवाने के साथ ही दिल्ली भर में आर.डब्लू. ए. के विरोध के बावजूद “पब” ही “टैरेस पब” भी खुलावाये और दिल्ली भर में सामान्य रेस्टोरेंटों को भी शराब परोसने के रेस्टोरेंट बांटे।
2019-20 आते-आते दिल्ली में शायद ही कोई रेस्टोरेंट या डिस्को क्लब,ऐसा बचा हो, जहाँ माता-पिता अपने बच्चों को अकेले भेज सकें। 2015 से ही केजरीवाल सरकार ने युवाओं को नशे की ओर धकेलने के लिए बहुत कुछ किया।2020 में कोविडकाल लॉक डाउन के बाद जब अर्थ व्यवस्था खोलने की बात आई तो केजरीवाल सरकार ने सबसे पहले राजस्व की आड़ में शराब की दुकानें खोलने को वरीयता दी, जबकि उसके चलते टूटी अर्थ व्यवस्था के कारण परिवार और भी ज्यादा टूट गये।कपूर ने कहा है कि यह कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि केजरीवाल-सिसोदिया सरकार नई शराब नीति तो 2021 मे लाई पर 2015 से ही वह दिल्ली में शराब खपत को बढ़ाने और युवाओं में नशे की लत बढ़ाने में लगी थी।2021-22 में आई केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति तो,मानो लाई ही दिल्ली को शराब राजधानी बनाने के लिए।इस नीति के आने के साथ ही दिल्ली में सभी सरकारी शराब दुकानें बंद करके 100 फीसदी शराब व्यापार निजी क्षेत्र को सौंप दिया गया।हर वार्ड में 3दुकानें खोलने की नीति से लेकर लाई गई। थोक एवं रिटेल लाईसेंस पॉलिसी बनाने तक,सब कुछ मानों किसी सरकार ने नहीं बल्कि शराब व्यापार संघ के पदाधिकारियों ने बनाया हो।
नई शराब नीति में थोक विक्रेताओं के कमीशन 2 से 12 फीसदी बढाने का कोई सही कारण केजरीवाल सरकार आज तक नहीं बता पाई है।सिसोदिया आज तक यह नहीं बता पाये कि क्योंकि सैकड़ों करोड़ के रिफंड शराब व्यापारियों को दिये गए।केजरीवाल सिसोदिया लगातार अपनी 2021 की शराब नीति को राजस्व एवं जनता के हित में बताते थें, तो फिर आखिर क्यों सी.बी.आई. जांच के आदेश होते ही नीति वापस ले ली।आखिर क्यों नहीं किसी सरकारी अधिकारियों का पैनल बना शराब व्यापारियों से चर्चा का जिम्मा देने की बजाये आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता विजय नायर को यह काम सौंपा गया।दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता ने कहा है कि दिल्ली की जनता सिसोदिया की गिरफ्तारी से संतुष्ट नहीं है।वह इस सारे घोटाले के मास्टर माइंड अरविंद केजरीवाल के विरूद्ध जांच चाहती है।