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जन्मदिन विशेष : चौधरी चरण सिंह जिन्होंने सत्ता के लिए गिरा दी थी आपातकाल के बाद बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार, फिर संजय गांधी के समर्थन से बने प्रधानमंत्री, नारा था “चरण सिंह लाया ऐसा आंधी, देश की नेता इंदिरा गांधी”

मात्र 6 महीने तक भारत के पांचवे प्रधानमंत्री रहे चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हुआ था। उन्होंने 1979 से 1980 तक बहुत कम समय के लिए सरकार का नेतृत्व किया था। यह एक ऐसा समय था जब भारत राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहा था और आपातकाल से उबर रहा था। हर तरफ मौकापरस्ती थी और इसी के घाल मेल में चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस के सहयोग से मोरारजी देसाई की सरकार गिरा कर अपने प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पूरी की हालांकि 6 महीने के अंदर ही चौधरी चरण सिंह की सरकार भी गिर गई क्योंकि संजय गांधी और इंदिरा गांधी ने षड्यंत्र के तहत चौधरी चरण सिंह को महत्वाकांक्षा जगा कर मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली गैर कांग्रेसी सरकार को गिरा दिया था । हालांकि इसके पीछे उन्होंने मोरारजी देसाई सरकार में शामिल जनसंघ के नेताओं की दोहरी सदस्यता को कारण बताया था लेकिन उनकी कांग्रेस की पृष्ठभूमि के कारण हमेशा यह माना गया कि देश में कांग्रेस द्वारा थोपे गए आपातकाल में जन नायक जय प्रकाश नारायण की अगुआई में देशव्यापी विरोध के कारण उपजे आक्रोश की हवा निकालने में चौधरी चरण सिंह की प्रमुख भूमिका रही । उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा के लिए उस आंदोलन को कुचल दिया

चरण सिंह का कार्यकाल 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक रहा। इतने कम दिन तक प्रधानमंत्री रहने की वजह से चरण सिं ह ऐसे पीएम बन गए, जिन्हें संसद के एक भी सत्र में /चर%ण सिंह का कार्यकाल 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक रहा। इतने कम दिन तक प्रधानमंत्री रहने की वजह से चरण सिंह ऐसे पीएम बन गए, जिन्हें संसद के एक भी सत्र में शामिल होने का मौका नहीं मिल सका। होने का मौका नहीं मिल सका। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में भी साल भर से कम मुख्यमंत्री रहे विशेष बात यह थी कि उत्तर प्रदेश में भी हो कांग्रेस से विभाजित होकर कांग्रेस के समर्थन से ही मुख्यमंत्री बने थे जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा कर विधानसभा भंग कर दी गई ।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से किसान नेता थे चौधरी चरण सिंह

चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के नूरपुर में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1923 में विज्ञान में स्नातक की डिग्री और 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री प्राप्त की। चौधरी चरण सिंह ने 1937 में राजनीति में कदम रखा । वे छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए । फिर उन्होंने 1946 1952, 1962, 1967 मैं भी अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया । 1952 में उन्हें डा संपूर्णानंद की सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया । उनके अजीबोगरीब फैसलों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में पटवारियों ने हड़ताल कर दी लेकिन उन्होंने तानाशाही दिखाते हुए उन पटवारियों को ही नौकरी से हटा दिया कहा जाता है कि रातोरात हजारों परिवार सड़को पर आ गए लेकिन चौधरी चरण सिंह ने फैसले को वापस नहीं लिया । जिसके लिए आज भी चौधरी चरण सिंह की आलोचना होती है ।

मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें जो अधिनियम 1960 को लाने के लिए भी जाना जाता है जिसके जरिए उत्तर प्रदेश में खेती की अधिकतम सीमा को नियंत्रित किया गया हालांकि उस समय इसे मास्टर स्ट्रोक माना गया लेकिन इसका परिणाम आज उत्तर प्रदेश में छोटे किसानों के रूप में दिखाई देता है ।

चौधरी चरण सिंह का जीवन सादगी से जीवन जीने के लिए जाना जाता है उन्होंने अपना जीवन ग्रामीण परिवेश और संपूर्ण भारतीयता में जिया ।पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने और यहां जाट समुदाय के प्रभावशाली नेता के चलते उनको किसानों का नेता और मसीहा भी माना जाता है ।

NCRKhabar Mobile Desk

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