गाजियाबाद के मधुबन बापूधाम पाक में 10 साल की बच्ची पर पालतू कुत्ते के आक्रमण करने उसे घायल करने की का समाचार आ रहा है जानकारी के अनुसार इंद्रेश कुमार मधुबन बापूधाम में फ्लैट नंबर 13 में अपने परिवार के साथ रहते हैं वह श्रीराम पिस्टन फैक्ट्री में कर्मचारी है उनकी बेटी 10 वर्षीय बेटी वंशिका घर के सामने स्थित पार्क से खेल कर आ रही थी रास्ते में एक बच्ची अपने पालतू कुत्ते के साथ कह रही थी वंशिका को देखकर कुत्ते ने हमला कर दिया I कुत्ते के चार मिनट के हमले में बच्ची के हाथ में 18 सेंटीमीटर का जख्म हो गया है। कुत्ते ने बच्ची के पैर और पीठ पर भी काटा है।
इंद्रेश कुमार ने आरोप लगाया कि जिला एमएमजी अस्पताल के डॉक्टर ने इलाज करने के जगह बच्ची को जीटीवी रेफर कर दिया शुक्रवार शाम 7:00 बजे घटना के बाद वह बेटी को लेकर सबसे पहले एमएमजी अस्पताल गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें संजय नगर अस्पताल भेज दिया संजय नगर में बच्ची को दर्द का इंजेक्शन तो दिया लेकिन एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगाई रात 11:00 बजे उसे घर भेज दिया रात भर बच्ची दर्द से करहाती रही सुबह जब एमएमजी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे तो डॉक्टर ने बताया कि एंटी रेबीज वैक्सीन उपलब्ध नहीं है और उन्हें जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया
इंद्रेश के अनुसार जीटीबी के डॉक्टर ने ड्रेसिंग करके घाव सूखने की दवाई दी है टांके के बजाय प्लास्टिक सर्जरी की सलाह दी है प्राइवेट अस्पताल में सर्जरी कराने पर 2:30 से 3:00 लाख का खर्चा बताया गया है
कुत्ते और कुत्ते प्रेमी बन गए है गाजियाबाद में बड़ी समस्या
गाजियाबाद में कुत्ते और कुत्ते प्रेमी दोनों ही आम जन के लिए बड़ी समस्या बन चुके हैं हर रोज किसी ना किसी जगह पालतू और आवारा कुत्तों के द्वारा बच्चों बूढ़ों महिलाओं को काटने की घटनाओं के समाचार आते रहते हैं 19 नवंबर को भी सिद्धार्थ विहार में 1 साल की बच्ची को आवारा कुत्ते ने काट लिया था उसे एमएमजी से चाइल्ड पीजीआई नोएडा रेफर किया गया था वहां इलाज नहीं मिलने पर वापस एमएमजी में उसका उपचार किया गया उसके चेहरे पर 120 टांके आए थे इस पूरे प्रकरण में सबसे शर्मनाक बात यह रहती है कि कुत्तों के प्रेमी कहे जाने वाले तथाकथित कुत्ता प्रेमी लोग इन घटनाओं को ना सिर्फ मानने से इनकार कर देते हैं बल्कि बेशर्मी की हद पार करते हुए कुत्ते के नाम पर इंसानों के मर जाने और इंसानों को बाहर निकाल देने तक की बातें करते हैं सोशल मीडिया पर ऐसेट रोज की संख्या यद्यपि गिनी चुनी है मगर उन लोगों ने आम लोगों के लिए इतना उल्टा सीधा लिखा है कि आम आदमी इनसे बचने की कोशिश करता है लोगों की माने तो इन पर राजनेताओं का वरदहस्त है और कुछ एनजीओ इन के जरिए अपने उद्देश्य पूरे करती हैं ऐसी एनजीओ कुछ बेरोजगार डिजिटल मीडिया मार्केटर्स को हायर कर लेते हैं जो डमी यह फेक प्रोफाइल के जरिए आम लोगों को प्रताड़ित करते हैं और उन्हें धर्म और बद्दुआओ के नाम पर डराने की कोशिश करते हैं हालांकि आज के आधुनिक युग में लोग जानते हैं कि इन जैसे पाखंड से भरे लोगों के उल्टा सीधा कहने से कुछ नहीं होता है लेकिन फिर भी लोग सामाजिक जीवन में लगातार ऐसे लोगों से बचने की कोशिश करते हैं
वहीं कुछ लोगों के अनुसार मेडिकल माफिया का भी इनके पीछे हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि जितने ज्यादा कुत्ते काटने की घटनाएं होती हैं उसमें ज्यादा ही रेबीज के इंजेक्शन बिकते हैं और जब हर घटना के बाद लगभग ₹200000 तक पीड़ित के खर्च होते हैं तो कहीं ना कहीं यह एक बड़ा व्यापार भी बनकर नजर आता है नोएडा में कुत्तों को लेकर एक पॉलिसी ड्राफ्ट की गई है जिसमें कुत्ता काटने के बाद कुत्ता पालक पर ₹10000 का अर्थदंड लगाने की प्रक्रिया को शुरू किया गया अब ऐसे में गाजियाबाद में भी इस तरीके किसी की मांग की जा रही है