नोएडा में कोरोना काल में लापरवाही पर पांच डॉक्टरों के खिलाफ की गई कार्यवाही पर नीमा ने जताई आपत्ति, नई जांच की मांग की
नोएडा एक्सटेंशन मेडिकल एसोसिएशन (NEMA) ने को रोना काल में यथार्थ हॉस्पिटल में एक मरीज को समय पर एमएनडीसी बना देने के आरोप के मामले पर जांच समिति द्वारा 5 डॉक्टर को 304 A के आरोपी बनाए जाने पर अपनी आपत्ति जाहिर की है नीमा के फाउंडर सेक्रेटरी डॉ नीलेश कपूर ने एनसीआर खबर से बातचीत में कहा की ऐसी कार्यवाही या डॉक्टर्स के मनोबल को तोड़ती हैं इसके साथ ही इस जांच में यह तथ्य भी सामने आ रहा है कि संबंधित डॉक्टर को जांच में शामिल नहीं किया गया और उसे सीधे कार्यवाही की जानकारी दी गई है

नीमा ने अपने लिखित पत्र मे कहा है कि हाल ही मे प्रकाशित खबरों के मुताबिक ये ज्ञात हुआ है कि कोविड – 19 की द्वितीय लहर में यथार्थ अस्पताल में इलाज में लापरवाही एवं समय पर रेमडेसिविर नामक इंजेक्शन न मिलने की वजह से गाज़ियाबाद निवासी श्री प्रदीप कुमार शर्मा पुत्र राजा राम शर्मा की आकस्मिक मृत्यु हो गई।
नोएडा एक्सटेंशन मेडिकल एसोसिएशन इस हादसे से व्यथित है एवं पीड़ित परिवार के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति व्यक्त करता है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्राप्त करे एवं पूरे परिवार को इस सदमे से उबरने की शक्ति दे, ऐसी कामना करता है।
इस मामले में हमे विभिन्न मीडिया चैनल्स से जानकारी प्राप्त हुई है कि पीड़ित के इलाज के दौरान गंभीर लापरवाही बरती गई थी एवं रेमडिसिविर इंजेक्शन देरी से दिया गया। जिसके चलते इलाज के दौरान उनकी तबियत बिगड़ गई एवं उन्हें बचाया न जा सका। हमे ये भी जानकारी मिली है की पुलिस ने इस मसले में पांच चिकित्सको के विरुद्ध आई पी सी धारा 304 (A) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की है।

कोविड – 19 की द्वितीय लहर एक प्राकृतिक आपदा थी जिससे संपूर्ण देश में हाहाकार मचा एवं संसाधनों की कमी सभी क्षेत्रों में देखी गई। मेडिकल ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर, अस्पताल बेड, अन्य जीवन रक्षक दवाएं सब कम पड़ गए थे। इस कठिन समय में जिले में यथार्थ अस्पताल एक आशा की किरण बन कर उभरा एवं अनगिनत लोगो को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई जिसे देने में संपूर्ण स्वास्थ्य महकमा आपदा की वृस्तता की वजह से करने में असमर्थ था। इस क्षेत्र के सभी एवं यथार्थ के भी चिकित्सको ने अपनी जान पे खेल कर मरीजों का उपचार किया एवं यथासंभव सीमित संसाधनों का उपयोग कर अपना श्रेष्ठतम योगदान दिया जिसे बाद में स्वयं सरकार एवं कई गैर सरकारी संगठनों ने भी माना एवं उन्हें सम्मानित किया।
इन कठिनतम परिस्थितियों के बावजूद भी अगर किसी व्यक्ति को चिकित्सा जगत न बचा पाया तो उसका कारण सिर्फ कोविड 19 की द्वितीय लहर की विराट आपदा थी न की चिकित्सको की लापरवाही। रेमडेसिवीर दवा कोविड में कोई कारगर इलाज के रूप में कभी स्थापित नहीं थी बल्कि सिर्फ उसको “emergency use authorisation” यानी कोविड 19 जनित आपातकालीन परिस्थितियों के लिए अनुमोदित किया गया था। बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उसे कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से भी हटा दिया था।ऐसे में उसकी अनुपलब्धता की वजह से मृत्यु हो जाना सही मालूम नही पड़ता।
युद्ध में सीमा पे लड़ने वाले जवानों की गलतियां निकलकर उनपर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती। उसी प्रकार हम कोविड लहर में अपना समस्त झोंक देने वाले कर्तव्यनिष्ठ चिकित्सको पर की गई जबरन पुलिसिया एवं प्रशासनिक कार्यवाही का विरोध करते है एवं शासन प्रशासन से अनुरोध करते हैं की एक नई जांच कमेटी का गठन कर दुबारा जांच कराई जाए एवं इस नई जांच समिति में आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ, छाती रोग विशेषज्ञ, सप्लाई चेन विषेषज्ञ को भी शामिल किया जाए तथा तब तक किसी भी प्रशासनिक कार्यवाही को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
हर चिकित्सक अपने मरीज के कष्ट हटाने के लिए प्रतिबद्ध रहता है एवं सदा उसके हित में ही कार्य करता है। ऐसा पहले भी कई निर्णयों में हमारी अदालतें इस तथ्य को मानती आ रही है। इसलिए हम इस धारा 304 A के अंतर्गत एफआईआर का कड़ा विरोध करते है।