कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी “शादी में जरूर आना” और यह फिल्म उत्तर प्रदेश के परिवेश में एक आईएएस अधिकारी की प्रेम कहानी को लेकर थी । जाहिर है फिल्म सुपरहिट थी । लेकिन फिल्म और असल दुनिया में अंतर होता है यहां भी कहानी में थोड़ा सा ट्विस्ट है। यहां आईएएस की जगह सत्ता पक्ष के नोएडा अध्यक्ष जी की सुपुत्र की शादी मैं जरूर आना है अब आप सोचेंगे कि यह क्या बात कही जा रही है तो दरअसल यह वाक्य आजकल नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारी और अधिकारियों से कहा जा रहा है । लोगों ने इस बात को लेकर काफी चर्चाएं हैं कि एक प्राधिकरण के कर्मचारियों के अध्यक्ष की पक्की दोस्ती इन दिनों सत्तापक्ष के जिलाध्यक्ष से ज्यादा हो गई है । अब ये ज्यादा हो गई है या कोई या कोई ऐसा संबंध इन दोनों के बीच में है जो दोनों के हितों को साधना है तो ऐसी चर्चाएं भी लोगों के बीच होती रहती हैं ।
एक वरिष्ठ पत्रकार तो यहां तक कहते हैं कि दोनों की मित्रता ही ऐसी है कि सार्वजनिक आयोजनों में दोनों साथ-साथ देखते हैं अगर एक देर से पहुंचता है तो दूसरा बेचैन रहता है अब चुकी दोनों के हित साझा हैं ऐसे में उनके दुख और सुख भी साझा हैं तो फिर भाजपा अध्यक्ष के सुपुत्र की शादी हो तो दूसरा अध्यक्ष तमाम व्यवस्थाओं में क्यों ना इंतजाम करें । अब लोगो का क्या है कुछ भी कह देते है
लेकिन बस यही से इन सभी व्यवस्थाओं के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों को न्योता भेजा जा रहा है और साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि न्योते के साथ शगुन कितने रुपए का लाना है अधिकारियों की भी खुशी तब तक बनी रहती है जब तक उन्हें नहीं होते के शगुन की लागत का पता नहीं होती । ऐसे में जब मुख्यमंत्री की पत्रकारों के साथ परिचर्चा में जिले की एक जनप्रतिनिधि ने 2 दिन पहले ही मुख्यमंत्री के सामने जिले को उत्तर प्रदेश का शो विंडो बता दिया है तो इस शो विंडो में सत्तापक्ष के जिला अध्यक्ष के सुपुत्र की शादी में प्रबंध भी तो प्राधिकरण के अधिकारियों के ही जिम्मे होनी चाहिए आखिर प्राधिकरण के अधिकारियों का दक्षता बेहतर प्रबंधन के लिए ही तो है इसलिए एक बार फिर एक बार फिर से प्राधिकरण के लोगों से विनम्र निवेदन है की अध्यक्ष जी के सुपुत्र की शादी में जरूर जरूर आना और शगुन भूल ना जाना ।