नवरात्रि के दो सबसे महत्वपूर्ण दिन अष्टमी और नवमी के विषय में जानिए राघवेंद्र रवीश राय गौड़ से

अष्टमी जिसे महा अष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. ये नवरात्रि का आठवां दिन होता है. इस दिन नवदुर्गा के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा की जाती है. मां महागौरी पवित्रता और शांति का प्रतीक मानी जाती हैं. महा अष्टमी पर नौ छोटे बर्तन स्थापित किए जाते हैं और उनमें मां दुर्गा की नौ शक्तियों का आह्वान किया जाता है. अष्टमी की पूजा के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. लोग इस दिन कन्याओं की भी पूजा करते हैं, क्योंकि उन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. इस पूजा को कन्या पूजा के रूप में जाना जाता है.
इस वर्ष अष्टमी 03 अक्टूबर सोमवार को पड़ रही है. पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि की शुरुआत 02 अक्टूबर, रविवार को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर होगी और 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 38 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगा.
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.
अष्टमी तिथि पर हवन पूजन का सबसे सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
महाष्टमी के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:38 से 05:26 ।अभिजित मुहूर्त- मध्यान 11:46 से 12:34 ।विजय मुहूर्त- मध्यान 02:08 से 02:56 ।गोधूलि मुहूर्त- संध्या 05:53 से 06:17 ।अमृत काल- संध्या 07:54 से 09:25 ।
महानवमी
नवमी या महा नवमी नवरात्रि का नौवां दिन है. महा नवमी पर देवी दुर्गा की महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि महानवमी के दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था. नवरात्रि के नौवें दिन भक्त मां दुर्गा के नौवें अवतार मां सिद्धिदात्री की पूजा भी करते हैं. कुछ भक्त नवमी पर भी कन्या पूजा करते हैं.
इस साल नवमी 4 अक्टूबर, मंगलवार को पड़ रही है. पंचांग के अनुसार नवमी तिथि 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 04 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी.
इसके अलावा
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगा और 05 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगा.
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक चलेगा.
पंचांग अनुसार
ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04:42 से 05:31 तक रहेगा।
अभिजित मुहूर्त प्रातः 11:44 से 12:30 तक रहेगा एवम्
14 अक्टूबर को सुबह 9:36 बजे से लेकर पूरे दिन रवि योग भी रहेगा।
पूजा के मुहूर्त:दिन का चौघड़िया शुभ: प्रात: 06:27 से 07:53 तक।लाभ: दोपहर 12:12 से 13:39 तक।अमृत: दोपहर 13:39 से 15:05 तक।शुभ (वार वेला): शाम 16:32 से 17:58 तक। अमृत काल: दिन में 11:00 से 12:35 तक
भगवती की पूजा विधि…
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- मां को वस्त्र अर्पित करें।
- मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
- मां को रोली कुमकुम लगाएं।
- मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।
- मां की आरती भी करें।
- अष्टमी एवं नवमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इन दिनों में कन्या पूजन अवश्य करें।
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तूते ।
नारायणनारायण
राघवेंद्ररविश रायगौड़
ज्योतिर्विद